अभिषेक साहा

योगगुरु बाबा रामदेव की पतंजलि योगा के एक योग ट्रेनर को सामाजिक-धार्मिक सुधारक शंकरदेव के खिलाफ टिप्पणी करने के बाद नौकरी से निकाल दिया गया है। आरोप है की असम में पतंजलि के योगा ट्रेनर ने 15वीं शताब्दी के सामाजिक-धार्मिक सुधारक श्रीमंत शंकरदेव के खिलाफ एक सप्ताह पहले अपमानजनक टिप्पणी की थी। योगा ट्रेनर की इस टिप्पणी के बाद पूर्वोत्तर राज्य में सार्वजनिक आक्रोश शुरू हो गया। जिसके चलते योगा ट्रेनर के खिलाफ तीन एफआईआर दर्ज की गईं। मामले में विवाद इतना बढ़ गया कि कांग्रेस ने बाबा रामदेव से माफी की मांग की है।

खबर है कि पश्चिम बंगाल के सतिनाथ बराल, पतंजलि योगापीठ आयुर्वेद लिमिटेड की योगा प्रचारक डिविजन के कर्मचारी थे। उन्होंने श्रीमंत शंकरदेव के खिलाफ टिप्पणी करते हुए कहा कि वो कोई ‘पंडित या गुरु’ नहीं थे। उन्होंने यह बात असम जिले दरांग में स्थित दूनी कैंप में स्थित एक कार्यक्रम में की। मामले में जिले के एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि कथित टिप्पणी की वजह से स्थानीय लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं। इसलिए उनके खिलाफ दो पुलिस केस दर्ज किए गए हैं। एक गुवाहाटी में जबकि दूसरा सूलकुची पुलिस स्टेशन में दर्ज किया गया है।

बता दें कि श्रीमंत शंकरदेव का जन्म असम के नौगांव जिले की बरदौवा के समीप अलिपुखुरी में हुआ। उन्होंने 32 साल की उम्र में अपनी पहली तीर्थयात्रा शुरू की और उत्तर भारत के सभी तीर्थों का दर्शन किया। शंकरदेव जब तीर्थ यात्रा से लौटे थे 54 साल की उम्र में कालिंदी से विवाह किया। 67 साल की उम्र तक आते-आते उन्होंने बहुत किताबों की रचनाएं की और 97 साल की उम्र में दूसरी बार तीर्थ यात्रा पर चले गए। पूर्वोत्तर में शंकरदेव को काफी बहुत सम्मानित माना जाता है। (जनसत्ता ऑनलाइन इनपुट सहित)