राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने शुक्रवार को कहा कि भारत की परंपरा असहिष्णुता को कभी जगह नहीं देती क्योंकि आपसी सहअस्तित्व एवं समझ के साथ विविधता में एकता देश की मजबूती है। ‘नमामि ब्रहमपुत्र’ महोत्सव के उद्घाटन समारोह के मौके पर गुवाहटी पहुंचे मुखर्जी ने कहा कि जब लोग भारतीयों पर असहिष्णु होने का तमगा लगाते हैं तो वह इससे सहमत नहीं हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि पूरे भारत में 200 भाषाएं बोली जाती हैं जबकि देश में सभी प्रमुख सात धर्मों के अनुयायी हैं। विश्व में कहीं भी इतनी जातीय विविधता नहीं है। उन्होंने कहा अगर यह कहा जाए कि भारतीय तार्किक होते हैं, मैं सहमत हो जाऊंगा।

इसके बाद उन्होंने कहा कि असहिष्णुता को भारत में कभी जगह नहीं मिली। उन्होंने कहा मतों में विविधता होगी लेकिन भारत की जनता में एकता का संबंध खोजने की क्षमता है। मुखर्जी ने कहा कि भारत के आर्थिक केंद्र के तौर पर उभर रहा असम आसियान देशों के लिये देश के गलियारे के तौर पर काम करने के लिये बिल्कुल सही जगह स्थित है। राष्ट्रपति ने कहा कि भारत जल्द ही दक्षिण-पूर्व एशियाई राष्ट्रों के संगठन :आसियान: के साथ अपने संबंधों की 25वीं वर्षगांठ मनायेगा।

उन्होंने कहा कि असम के महान विद्वान और समाज सुधारक शंकरदेव की शिक्षाएं और इस देश की परंपराएं कभी भी असहिष्णुता को बढ़ावा नहीं देती। राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय निवेश और व्यापार के लिये दक्षिण-पूर्व एशिया एक अहम जगह है। असम में विकास की प्रचूर संभावनाओं का जिक्र करते हुये राष्ट्रपति मुखर्जी ने कहा कि राष्ट्रीय जलमार्ग में अंतरदेशीय जल परिवहन प्रणाली यहां के आर्थिक परिदृश्य को बदल सकती है। आपको बता दें कि नमामि ब्रहमपुत्र का उद्देश्य इस नदी द्वारा जुड़े पर्यटन, सांस्कृति और व्यापार का बढ़ावा देना है। इस पर  बात करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि इस प्रकार के महोत्सव पर्यटन और अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा हम एक देश होने, एक संविधान होने, एक झंडे के नीचे होने के बावजूद, एक व्यवस्था क्षेत्रीय पहचान को कायम रखे हुए है। हम एक राष्ट्र हैं।

ब्रहमपुत्र सभ्यता की सांस्कृतिक परंपरा की सराहना करते हुए उन्होंने असम सरकार से ब्रहमपुत्र पर इसकी संस्कृति दिखाने वाला क्रूज चलाने को कहा। भारत के सबसे बड़े नदी महोत्सव कहे जा रहे इस पांच दिवसीय महोत्सव का राज्य के 21 जिलों में आयोजन किया गया है। उद्घाटन समारोह में भूटान के प्रधानमंत्री शेरिंग तोब्गे और असम के राज्यपाल ने भी भाग लिया। तोब्गे ने कहा कि असम और भूटान सीमा साझा करते हैं और खुलकर बातचीत करते हैं। मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा कि महोत्सव को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से शुभकामनाएं मिली हैं।