तमिलनाडु में एक और महिला ने खून चढ़ाने के बाद HIV संक्रमण होने की जानकारी दी है। उसने इस मामले के लिए किलपौक मेडिकल कॉलेज प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया है। महिला ने मीडिया को बताया, ‘‘किलपौक मेडिकल कॉलेज में उसे खून चढ़ाया गया था। इसके कुछ महीने बाद अस्पताल ने उसे एचआईवी संक्रमित होने की जानकारी दी और टेस्ट के लिए बुलाया।’’ हालांकि, मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने आरोपों को नकार दिया है। बता दें कि कुछ दिन पहले तमिलनाडु के सत्तूर में ऐसा ही मामला सामने आया था। यहां खून चढ़ाने के बाद महिला एचआईवी संक्रमित हो गई थी। इस मामले में मानवाधिकार आयोग राज्य सरकार को नोटिस भी भेज चुका है।
अप्रैल 2018 में चढ़ाया गया था ब्लड : दूसरी महिला ने बताया, ‘‘अप्रैल 2018 में मैं गर्भवती थी। उस दौरान हीमोग्लोबिन कम होने के चलते अस्पताल में मुझे ब्लड चढ़ाया गया था। अगस्त में अस्पताल ने कुछ टेस्ट किए थे, जिसके बाद मुझे एचआईवी संक्रमित होने की सूचना दी गई।’’
रिश्तेदारों ने छोड़ दिया साथ : महिला के मुताबिक, गर्भवती होने के कारण वह लगातार स्थानीय स्वास्थ्य केंद्रों पर जा रही थी। वहां उसे सिर्फ इंजेक्शन लगाए गए थे। वहीं, खून सिर्फ मेडिकल कॉलेज में चढ़ाया गया, जहां अस्पताल के कर्मचारियों ने लापरवाही बरती। महिला ने कहा कि मैंने यह मामला राज्य सरकार के सामने उठाया, लेकिन कोई मदद नहीं मिली। मैं जनता के सामने पहले इसलिए नहीं आई, क्योंकि मेरे रिश्तेदारों ने मेरी छवि को नुकसान पहुंचने की चेतावनी दी थी। अब मेरे रिश्तेदार भी मेरा साथ नहीं दे रहे हैं।
डीन ने नकारे आरोप : किलपौक मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. पी वसंतमणि ने कहा कि महिला को 100% एचआईवी मुक्त खून चढ़ाया गया था। अस्पताल ने कोई लापरवाही नहीं बरती। अप्रैल में महिला को 2 यूनिट खून चढ़ाया गया था। साथ ही, सही तरह से जांच की गई थी कि ब्लड एचआईवी संक्रमित न हो। महिला का इलाज कुछ समय तक ही अस्पताल में चला था। उसका बच्चा सिजेरियन के जरिए हुआ है, जो एचआईवी टेस्ट में निगेटिव मिला।