बिहार के बौंसी पौराणिक मंदार मेले को आखिरकार राजकीय मेले का दर्जा मिल ही गया। इसकी मांग सालों से की जा रही थी। दिलचस्प बात है कि मेले का उद्घाटन करने वाले राजस्व मंत्री रामनारायण मंडल ही कई सालों से इसको राजकीय मेला घोषित करने की मांग कर रहे थे। रामनारायण ने अपने भाषण में इसका जिक्र भी किया। 14 जनवरी (मकर संक्रांति) से 17 जनवरी तक चलने वाले मेले में राज्य के पर्यटक मंत्री प्रमोद कुमार भी मौजूद थे। इस अवसर पर पर्यटक मंत्री ने कहा कि मंदार के विकास के लिए पर्यटक विभाग पहले ही 53 करोड़ रुपए की योजना को मंजूरी दे चुका है। राजस्व मंत्री रामनारायण मंडल ने कहा कि राज्य सरकार ने मंदार मेले को राजकीय मेला घोषित करते हुए एक करोड़ 70 लाख रुपए की मंजूरी दी है। राज्य के पर्यटक नक्शे का हिस्सा बनने से मंदार का तेजी से विकास होगा और सैलानियों का तांता लगेगा।

बता दें कि मंदार और इसकी तलहटी में बने पापहरणी सरोवर से तीन धर्मों का जुड़ाव है। ये हैं- सनातन, जैन और सफा। इन धर्मों के मानने वाले यहां आकर सरोवर में स्नान कर अपने पूर्वजों के सानिध्य में पूजा अर्चना करते हैं। मान्यता है कि देवता और दानवों के बीच समुद्र मंथन इसी मंदार पर्वत से किया गया था। आज भी यहां पर सर्प के निशान विद्यमान हैं। मंथन के बाद भगवान शिव ने विषपान यहीं किया था। विष्णु पुराण, पद्म पुराण, स्कंद पुराण वगैरह में भी इसका जिक्र है। मकर संक्रांति के दिन पापहरणी सरोवर में स्नान करने का खास महत्व है। लाखों लोग दूर-दराज से यहां आते हैं। कहते हैं कि यहां स्नान से पाप से मुक्ति मिलती है। इसलिए इसका नाम पापहरणी सरोवर है। मंदार पर्वत सात सौ फीट ऊंचा और पांच किलोमीटर के दायरे में है। कहा जाता है कि यहां भगवान विष्णु सतयुग में आए थे और उनके चरणों के निशान आज भी पर्वत पर मौजूद हैं।

भगवान विष्णु को ही मधुसूदन माना गया है। वे यहां विराजते हैं। मकर संक्रांति के मौके पर उनकी शोभा यात्रा पारंपरिक तरीके से पापहरणी सरोवर में स्नान कर गरुड़ रथ पर निकाली गई। आदिवासी शोभा यात्रा में लोकगीत गाते और नाचते हुए तराई में बना फगडोल लेकर आए। इसके साथ ही घड़ी घंट और नगाड़े बजाए गए। लाखों श्रद्धालुओं की मौजूदगी में पूजा-अर्चना हुई और फिर शाम को उनके स्थान पर भक्तिभाव से पहुंचाया गया। जहां रात में भगवान मधुसूदन को खिचड़ी का भोग लगाया गया और विश्राम के लिए शयन कक्ष में ले जाकर पट्ट बंद कर दिए गए। यह सब श्रद्धा और भाव की बात है।

मालूम हो कि इस मौके पर चार दिनों तक सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। पहले दिन प्रख्यात गायक विनोद राठौर के गीतों और फिल्मी गानों की धूम रही। 15 जनवरी को गायिका पूर्णिमा श्रेष्ठा के आने का कार्यक्रम है। 16 जनवरी को गायिका ऐश्वर्या निगम, डांस और आलोक के गायन का भी प्रोग्राम है। 17 को इसका समापन है। इस मौके पर बांका के सांसद जयप्रकाश नारायण यादव, जिले के अमरपुर, बेलहर, बांका, कटोरिया और धोरैया के विधयकों तथा आला अधिकारियों भी मौजूद रहने की उम्मीद जताई जा रही है।