आंध्र प्रदेश के नेल्लोर में एक शख्स बेटे की कब्र के पास तकरीबन 38 दिनों तक बैठा रहा। केवल इस उम्मीद में कि वह जिंदा होकर लौट आएगा। गम में डूबे पिता ने ऐसा किसी तांत्रिक के कहने पर किया था, जिसने उससे दावा किया था कि पुत्र को जिंदा करने का यही इकलौता तरीका है। तांत्रिक ने यह टोटका बताने के नाम पर शख्स से सात लाख रुपए भी ले लिए थे। मामले की सूचना पुलिस को हुई तो वह दंग रह गई। इसके बाद शख्स को समझा-बुझाकर वापस घर भेजा गया। हालांकि, पुलिस ने इस बाबत कोई केस नहीं दर्ज किया, क्योंकि शख्स ने तांत्रिक के खिलाफ शिकायत ही नहीं दी। उल्टा वह तांत्रिक के दावे पर विश्वास किए बैठा था।
‘टीओआई’ की एक खबर के मुताबिक, यह मामला पेल्तुरू गांव का है। वहां ईसाइयों के कब्रिस्तान में 56 वर्षीय थुप्पाकुला रामू रहते हैं, जिनके 26 साल के बेटे टी.श्रीनिवासलू की मौत बीते माह स्वाइन फ्लू से हो गई थी। पुलिस की मानें तो वह 2014 से अरब देश कुवैत स्थित एक निजी कंपनी में काम कर रहा था। तीन महीने पहले ही वह भारत लौटकर आया था।
वतन वापसी के बाद श्रीनिवासलू ने खुद के लिए ऑटो-रिक्शा खरीदा था। वह उससे घर का गुजर-बसर करना चाहता था, पर अचानक उसकी तबीयत खराब हो गई। आगे तिरुपति स्थित सरकारी अस्पताल में इलाज के बीच उसकी मौत हो गई।
अंग्रेजी अखबार में पुलिस के हवाले से कहा गया- तांत्रिक ने रामू से बेटे की कब्र के पास 41 दिन तक खड़े होने को कहा था। डीएसपी श्रीराम बाबू के अनुसार, “रामू ने कहा कि यह उसकी ख्वाहिश थी। उसे अपनी मर्जी के टोटके आजमाने का हक था, लिहाजा उसने कोई अपराध नहीं किया है।”