बिहार में पहले चरण का मतदान पूरा होने के बाद राजनीतिक दल अब दूसरे और तीसरे चरण की तैयारियों में जुट गए हैं। केंद्र के साथ-साथ राज्य के कई नेता ताबड़तोड़ रैलियां कर समर्थन जुटाने में लगे हैं। इस दौरान जहां सत्तासीन एनडीए गठबंधन पिछले 15 साल के विकास के दावों के आधार पर वोट मांग रहा है, वहीं विपक्षी महागठबंधन आगे रोजगार और अन्य सुविधाएं देने का वादा कर रहा है। हालांकि, पार्टियों के इन वादों का आम लोगों पर कितना असर पड़ा है, इसका ब्योरा मिलता है सौ से ज्यादा की उम्र के बुजुर्ग से, जिनका कहना है कि उन्हें देश में आजादी के बावजूद इसका सुख नहीं मिल पाया है।
एक टीवी चैनल ने जब बिहार के नालंदा में 1908 में जन्मे बुजुर्ग से बात की, तो वृद्ध का दर्द छलक उठा। कांपते हाथों से एक लाठी के सहारे खड़े बुजुर्ग ने एंकर से कहा कि हम उस समय के आदमी हैं, जब रेल लाइन बिछाने के दौरान अंग्रेज मार देता था, जब स्टेशन में आग लगा दी जाती थी। जब बुजुर्ग से पूछा गया कि सरकार ने क्या किया, तो बुजुर्ग ने कहा कि आज भी यहां सब ऐसा ही है। आजादी का सुख नहीं है। बुजुर्ग ने कहा कि घर तक नहीं बना है। आजादी का सुख हम जान ही नहीं पाए।
बुजुर्ग के इस वायरल वीडियो पर सोशल मीडिया पर भी हलचल मच गई। एक ट्विटर यूजर @MohitMi62 ने लिखा, “सही है नहीं मिला। बिहार आज भी 15वीं शताब्दी में है। सिर्फ राजनेता जिम्मेदार नहीं हैं।” एक और यूजर संजीव कुमार झा ने कहा, “बताएं नीतीश जी आजादी के 60-65 साल बाद भी क्या हाल है बिहार का। इससे शर्म की बात क्या होगी बिहार सरकार के लिए। ये है नालंदा बिहार।”