Gujarat Assembly Election 2022: अभिनेता परेश रावल (Paresh Rawal) के गुजरात चुनाव (Gujarat Election) के दौरान बंगालियों पर दिए एक बयान के बाद अहमदाबाद के मानेक चौक की संकरी गलियों हलचल मची हुई है। मानेक चौक की यह गलियां नाइट फूड मार्केट, ज्वेलरी मार्केट और बंगाली कारीगरों की पीढ़ियों के लिए जाना जाती है। कई अन्य जरूरी मुद्दों घिरे मानेक चौक के लिए परेश रावल की टिप्पणी सिर्फ चुनाव शोर है।
मंगलवार को वलसाड में एक रैली को संबोधित करते हुए अहमदाबाद पूर्व सांसद परेश रावल ने कहा था कि गैस सिलिंडर महंगा है लेकिन ये सस्ता हो जाएगा। लोगों को रोजगार भी मिल जाएगा। लेकिन क्या होगा जब रोहिंग्या मुस्लिम और बांग्लादेशी आपके आसपास रहने लगेंगे। जैसा कि दिल्ली में हो रहा है। तब आप गैस सिलिंडर का क्या करेंगे? बंगालियों के लिए मछली पकाएंगे?
इस बयान के बाद परेश रावल की काफी आलोचना हुई और कोलकाता में एक प्राथमिकी भी दर्ज की गई। हालांकि उन्होने इस बयान को लेकर माफी मांगते हुए कहा कि उनका मतलब रोहिंग्या बांग्लादेशियों से था।
ऐसे कहने वाले परेश रावल पहले व्यक्ति नहीं
मानेक चौक में रह रहे लोग कहते हैं कि परेश रावल ऐसा बयान देने वाले पहले व्यक्ति नहीं है। ना ही वह आखरी होंगे। जो बेहद खराब रहन-सहन और काम करने की स्थिति और लगातार पुलिस उत्पीड़न की शिकायत करते हैं। यह इलाका अशांत क्षेत्र अधिनियम के तहत दर्ज है। इस अधिनियम के तहत एक जिला कलेक्टर सांप्रदायिक तनाव की घटनाओं का हवाला देते हुए किसी विशेष क्षेत्र को अशांत के रूप में अधिसूचित कर सकता है जिसके बाद दो पक्षों के बीच किसी संपति की डील केवल कलेक्टर की सहमति से हो सकती हैं।
कई नियम इस अधिनियम के तहत क्षेत्र पर लागू किए जाते हैं।
उठते रहे हैं कई सवाल
कांग्रेस के मौजूदा विधायक शैलेष परमार कहते हैं कि मैंने विधानसभा में यह मुद्दा उठाया है कि सरकार सर्वे कराए यहां रहने वालों का पुनर्वास करे और झील का विकास करे। लेकिन बीजेपी सरकार को कोई दिलचस्पी नहीं है क्योंकि यह इलाका मुस्लिम बहुल है।
वह इस मुद्दे को ध्रुवीकरण के लिए जिंदा रखना चाहते हैं। परमार कहते हैं कि निर्वाचन क्षेत्र में लगभग 400-500 झुग्गियों में बंगाली हैं जिनमें से अधिकांश मुस्लिम हैं। जो दशकों से यहां रह रहे हैं।