हत्या के एक मामले की सुनवाई कर रही इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सीतापुर जिला अस्पताल के डॉक्टर को तलब किया है। दरअसल अदालत डॉक्टर की अस्पष्ट लिखावट के कारण मेडिकल रिपोर्ट को नहीं समझ पायी। इससे नाराज होकर कोर्ट ने डॉक्टर को अगली सुनवाई में मेडिकल रिपोर्ट की टाइप की गई कॉपी के साथ उपस्थित होने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने यह भी कहा है कि यदि डॉक्टर अगली तारीख पर मेडिकल रिपोर्ट के साथ पेश नहीं होते हैं तो उन पर 10000 रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा। जुर्माने की रकम डॉक्टर के वेतन से वसूल की जाएगी। कोर्ट ने अपर शासकीय अधिवक्ता को मेडिकल रिपोर्ट बनाने वाले डॉक्टर की उपस्थिति अगली सुनवाई पर सुनिश्चित करने का आदेश दिया है।

क्या है मामलाः बता दें कि सीतापुर के तम्बौर थाने में हत्या का एक मामला दर्ज है। जिसमें पप्पू सिंह आदि लोगों ने कोर्ट में एक रिट याचिका दायर कर उनके खिलाफ दर्ज हत्या के प्रयास से संबंधित एफआईआर रद्द करने की मांग की थी। याचिकाकर्ताओं की ओर से तर्क दिया गया कि एफआईआर में दर्ज की गई मेडिको लीगल रिपोर्ट घटना के 4 दिन बाद की है। उसमें जिन चोटों का उल्लेख है, वह भी साधारण प्रकृति की हैं। ऐसे में उनके खिलाफ हत्या का मामला नहीं बनता। ऐसे में उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द करायी जाए। इस पर कोर्ट ने जब मेडिको लीगल रिपोर्ट पढ़नी चाही तो अस्पष्ट होने के कारण रिपोर्ट पढ़ी नहीं जा सकी। साथ ही रिपोर्ट पर ना तो डॉक्टर का नाम और पदनाम दर्ज है, ना ही अस्पताल की मुहर लगी है। नवभारत टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, कोर्ट ने इस पर नाराजगी जताते हुए कहा कि पहले भी आदेश दिया गया है कि “मेडिको लीगल रिपोर्ट स्पष्ट होनी चाहिए, लेकिन डॉक्टरों के रवैये में बदलाव नहीं दिखाई दे रहा है।”

कोर्ट ने पहले भी जता चुका नाराजगीः उल्लेखनीय है कि कोर्ट पहले भी मेडिको लीगल रिपोर्ट में डॉक्टरों की अस्पष्ट लिखावट पर आपत्ति जता चुका है। इस पर 8 नवंबर, 2012 को स्वास्थ्य एवं चिकित्सा सेवाओं के महानिदेशक ने प्रदेश के सभी सीएमओ को निर्देश दिया था कि सभी मेडिको लीगल स्पष्ट लिखे होने चाहिए।