उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बीजेपी पर उर्दू भाषा से नफरत करने का आरोप लगाया है। अखिलेश यादव ने ट्विटर पर लिखा, ‘‘आजम खान ने अपने कार्यकाल के दौरान रामपुर में एक उर्दू गेट बनवाया था, जिसे बीजेपी ने बुधवार (6 मार्च) को यह कहकर तुड़वा दिया कि इस गेट की ऊंचाई कम है। साथ ही, दावा किया इस उर्दू गेट को बनाने के लिए सरकार से NOC भी नहीं ली गई थी। बीजेपी प्रशासन के इस फैसले से सपा कार्यकर्ताओं में काफी गुस्सा है। उनका कहना है कि बीजेपी ने यह कदम उर्दू भाषा से नफरत के चलते उठाया है।
जब वोट गिरते हैं तो फिर सरकारें भी गिरती हैंः अखिलेश ने उर्दू गेट गिराए जाने का फोटो भी सोशल मीडिया पर शेयर किया। उन्होंने लिखा, “नफरत का आलम तो यह है कि एक समाज पर निशाना साधा गया। फिर एक भाषा के खिलाफ जहर उगला गया और फिर उस भाषा के नाम पर बने हुए एक फाटक को गिरा दिया गया। शायद ये लोग भूल रहे हैं कि जब वोट गिरते हैं तो सरकारें भी गिरती हैं। उर्दू हिंदुस्तान की जुबां है और दिलवालों की पहचान है।’’ बता दें कि इस गेट को बनाने में समाजवादी पार्टी ने लगभग 40 लाख रुपये खर्च किए थे।
बीजेपी पर लगाया आरोपः अखिलेश ने बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा कि उनकी पार्टी एक तरफ उर्दू भाषा से नफरत करती है। वहीं, अपने चुनावी अभियान के नारे में उर्दू शब्द ‘मुमकिन’ का इस्तेमाल कर रही है। उन्होंने भाजपा के खिलाफ बयानबाजी करते हुए कहा कि उर्दू भाषा के खिलाफ बीजेपी के लोगों के मन में इतनी खटास है तो उन्हें अपने 2019 के चुनावी अभियान के नारे ‘मोदी है तो मुमकिन है’ में से ‘मुमकिन’ शब्द हटा देना चाहिए। या फिर इस नारे को उत्तर प्रदेश में बैन कर देना चाहिए। बता दें कि आगामी लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने अपनी पार्टी के लिए 2 नारे तैयार किए हैं। इनमें पहला नारा ‘मोदी है तो मुमकिन है’ और दूसरा दूसरा ‘नामुमकिन अब मुमकिन है’ रखा गया है।