बीजेपी नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंध कमेटी के अध्यक्ष पद से दिया गया अपना इस्तीफा वापस ले लिया है। सिरसा, कुछ दिन पहले ही अकाली दल छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए थे। उनके शामिल होने से पंजाब में बीजेपी को फायदा हो सकता है।
शिरोमणि अकाली दल से भारतीय जनता पार्टी में गए पूर्व डीएसजीएमसी अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा ने शुक्रवार को अध्यक्ष पद से अपना इस्तीफा वापस ले लिया। सिरसा ने “तकनीकी और कानूनी मुद्दों” का हवाला देते हुए इस पद से अपना इस्तीफा वापस ले लिया है और इस तरह से डीएसजीएमसी को पहला बीजेपी अध्यक्ष मिल गया है।
उन्होंने ट्वीट कर कहा- “यह स्पष्ट करना है कि अपना इस्तीफा देने के बावजूद, मैं कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में डीएसजीएमसी में काम का प्रबंधन कर रहा हूं। तकनीकी और कानूनी मुद्दों के कारण मेरा इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया है, हालांकि नई समिति के गठन के बाद मैं डीएसजीएमसी गतिविधियों में शामिल नहीं होऊंगा”।
उन्होंने कहा कि डीएसजीएमसी के स्टाफ की सैलरी दो महीने से रुकी हुई है, कुछ स्कूलों में स्टाफ को भी सैलरी नहीं मिली है। कोरोना की तीसरी लहर की आशंका है, ऐसे में काम करना जरूरी है। काम रूकना नहीं चाहिए। इसलिए मैं तत्काल प्रभाव से अपना इस्तीफा वापस ले रहा हूं।
सिरसा पिछले महीने ही बीजेपी में शामिल हुए हैं। दो दिन पहले ही उनकी सुरक्षा भी बढ़ा दी गई है। उनकी सुरक्षा केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के जवानों के पास है। पहले उन्हें ‘Y’ श्रेणी की सुरक्षा उपलब्ध थी। अब जेड श्रेणी की सुरक्षा दी गई है।
इससे पहले बीजेपी ज्वाइन करने वाले दिन सिरसा ने ट्विटर पर ही डीएसजीएमसी अध्यक्ष के पद से अपने इस्तीफे की घोषणा की थी। अपना इस्तीफा शेयर करते हुए सिरसा ने कहा था कि वह दिल्ली सिख निकाय के आगामी आंतरिक चुनाव नहीं लड़ेंगे। सिरसा दिल्ली में अकाली दल के एक प्रमुख चेहरा रहे हैं। तब भाजपा के पंजाब चुनाव प्रभारी गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा था कि सिरसा को पार्टी में शामिल होने से निश्चित रूप से राज्य में होने वाले चुनाव में मदद मिलेगी।