Assam News: असम में ध्वस्त किए गए चार मदरसों को लेकर ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF) ने असम सरकार पर सवाल खड़े किए हैं। संगठन ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट जाने की बात भी कही है। AIUDF प्रमुख बदरुद्दीन अजमल का कहना है कि मुख्यमंत्री ने पहले क्यों नहीं कहा कि मदरसा जिहादियों का अड्डा बन गया था। उन्होंने मुख्यमंत्री से सुबूत दिखाने की मांग की और कहा कि अगर उनके पास सुबूत नहीं हैं तो वह सुप्रीम कोर्ट जाएंगे।

असम में 4 मदरसों को ध्वस्त किया गया है। कहा जा रहा था कि इन मदरसों में राष्ट्रविरोधी और जिहादी गतिविधियां चल रही थीं। इन 4 में तीन मदरसों को राज्य प्रशासन द्वारा नष्ट किया गया, जबिक एक मदरसे को स्थानीय लोगों ने ध्वस्त कर दिया। स्थानीय लोगों द्वारा ध्वस्त किया गया मदरसा गोलपारा को पखिउरा चार के दारोगर अलगा में स्थित था।

इस मदरसे में 2 बांग्लादेशी नागरिकों को शिक्षक के तौर पर रखा गया था। जो अब फरार हैं। एक मौलवी जलाउद्दीन शेख की गिरफ्तारी के बाद राष्ट्र विरोधी गतिविधियों के लिए मदरसे के इस्तेमाल का पता चला। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि फरार बांग्लादेशी, भारतीय उपमहाद्वीप में अल कायदा (एक्यूआईएस), अंसारुल बंग्ला टीम (एबीटी) के सदस्य थे। अधिकारी के मुताबिक, 2020-22 के बीच अलग-अलग समय पर मदरसे में पढ़ाया था। इसके अलावा, मोरीगांव, बारपेटा और बोंगईगांव जिलों में 3 अन्य मदरसों को धराशायी किया गया था।

इस पर मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा कि जिन मदरसों को नष्ट किया गया है, वे शिक्षा का केंद्र नहीं थे, बल्कि आतंकियों के ठिकाने थे। वहां बच्चों का भविष्य नहीं बनाया जा रहा था। इन जगहों पर आतंकी संगठनों से जुड़े कुछ लोग शिक्षक बनकर बच्चों को उनके रास्ते से भटकाने के काम में लगे थे।

उन्होंने कहा, “सभी ध्वस्त मदरसे, मदरसे नहीं बल्कि अल कायदा के दफ्तर थे। हमने 2-3 को गिराया और अब जनता बाकी को गिराने आ रही है। मुस्लिम समुदाय यह कहकर ध्वस्त करने आ रहा है कि उन्हें ऐसा मदरसा नहीं चाहिए, जहां अल कायदा का काम हो। इससे मदरसे का चरित्र बदल जाता है।”