नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (AIIA) ने 13 से 15 जुलाई 2025 तक ‘शल्यकॉन 2025’ नामक तीसरे राष्ट्रीय शल्य चिकित्सा सम्मेलन का आयोजन किया। यह आयोजन प्राचीन आयुर्वेदाचार्य सुश्रुत की जयंती पर समर्पित था। सम्मेलन AIIA के शल्य तंत्र विभाग, राष्ट्रीय सुश्रुत संघ और प्रो. (डॉ.) योगेश बडवे की अध्यक्षता में संपन्न हुआ। इसमें भारत के साथ नेपाल और श्रीलंका से आए 500 से अधिक चिकित्सकों, शोधकर्ताओं और छात्रों ने भाग लिया।
सरकार ने आयुर्वेद चिकित्सकों को 39 शल्य क्रियाओं की अनुमति दी है,
उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि आयुष मंत्री प्रतापराव गणपतराव जाधव ने प्रधानमंत्री मोदी की अनुसंधान-प्रधान सोच की सराहना करते हुए कहा कि अब समय है जब आयुर्वेद को आधुनिक शोध और साक्ष्यों के साथ दुनिया के सामने प्रस्तुत किया जाए। उन्होंने जानकारी दी कि सरकार ने आयुर्वेद चिकित्सकों को 39 शल्य क्रियाओं की अनुमति दी है, जिससे एकीकृत स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को बढ़ावा मिला है।
इस अवसर पर आयुष सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने बताया कि भारत अब पारंपरिक चिकित्सा को तकनीक के साथ जोड़ रहा है। उन्होंने बताया कि सितंबर 2024 में AIIA और WHO ने मिलकर AI (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) पर वैश्विक बैठक आयोजित की थी। इसमें ‘आयुष चैटबॉट’, ‘नमस्ते योग’ ऐप और अन्य 22 डिजिटल माध्यमों की प्रगति पर भी चर्चा हुई।
10 लेप्रोस्कोपिक/एंडोस्कोपिक प्रक्रियाएं और 16 एनोरेक्टल सर्जरी का सफल प्रदर्शन
सम्मेलन में 10 लेप्रोस्कोपिक/एंडोस्कोपिक प्रक्रियाएं और 16 एनोरेक्टल सर्जरी का सफल प्रदर्शन किया गया। इसके अलावा, शल्य चिकित्सा में नवाचार और मानकीकरण पर आधारित कई वैज्ञानिक सत्र, पोस्टर प्रेजेंटेशन और विशेषज्ञों की पैनल चर्चाएं हुईं।
AIIA की निदेशक (प्रभारी) प्रो. मंजूषा राजगोपाला ने कहा कि यह सम्मेलन युवा आयुर्वेदिक शल्य चिकित्सकों के लिए नई तकनीकों को समझने और अपनाने का एक अद्वितीय अवसर है। शल्य तंत्र विभाग हर दिन 2000 से अधिक मरीजों की सेवा करता है और सामान्य, स्त्री, मूत्र और गुदा रोगों से संबंधित सर्जरी करता है।
सम्मेलन का समापन ‘राष्ट्रीय सुश्रुत सम्मान समारोह’ के साथ हुआ, जिसमें क्षेत्र की प्रमुख हस्तियों को सम्मानित किया गया। साथ ही, सम्मेलन की स्मारिका पुस्तक और एक पीजी शोध सारांश का विमोचन भी किया गया।
AIIA, जिसे 2017 में प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्र को समर्पित किया था, आज आयुर्वेदिक शिक्षा, अनुसंधान और सेवा में उत्कृष्टता का प्रतीक बन चुका है। अब तक 30 लाख से अधिक रोगियों को इसकी सेवाएं मिल चुकी हैं।
