अहमदनगर नगर निगम के चुनाव में बीजेपी ने अपने सहयोगी दल शिव सेना को करारा झटका देते हुए शरद पवार की नेशनल कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के साथ गठबंधन कर लिया। इन चुनावों में शिवसेना ने सबसे ज्यादा 24 सीटें जीती थीं, लेकिन बहुमत हासिल नहीं कर सकी। अहमदनगर नगर निगम में बहुमत के लिए 35 सीटों की जरूरत थी। ऐसे में बीजेपी (18) ने एनसीपी (14) के साथ गठबंधन कर लिया और बीजेपी के बाबासाहेब वकाले को मेयर चुन लिया गया।

विश्वास प्रस्ताव भी बीजेपी ने जीता : बहुमत साबित करने के लिए निगम सदन में विश्वास प्रस्ताव पारित किया गया। इसके लिए पार्षदों ने वोटिंग की और बाबासाहेब वकाले के पक्ष में 37 वोट पड़े। सूत्रों का कहना है कि एनसीपी-बीजेपी के गठबंधन से राज्य में बीजेपी का प्रभाव बढ़ सकता है।

तीन उम्मीदवारों में था मुकाबला : नतीजे आने के बाद मेयर पद के लिए बीजेपी के बाबासाहेब वकाले, शिवसेना के बालासाहेब बोराटे और एनसीपी के संपत बार्कर के बीच मुकाबला था। शुक्रवार सुबह मेयर पद के लिए पार्षद वोटिंग करने पहुंचे तो एनसीपी के संपत मैदान से हट गए। इससे बीजेपी का रास्ता साफ हो गया।

स्थानीय विवाद ने शिवसेना को सत्ता से दूर किया : सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी और शिवसेना एक-दूसरे के सहयोगी दल हैं, लेकिन अहमदनगर में दोनों दलों के स्थानीय नेताओं की कड़वाहट ने उन्हें एक साथ आने से रोक दिया। इनमें पार्टी के दो नेताओं पूर्व विधायक अनिल राठौर (शिवसेना) और सांसद दिलीप गांधी (बीजेपी) के बीच व्यक्तिगत विवाद की जानकारी सामने आई है। इसके बावजूद अगर दोनों दल सामने आते तो शिवसेना अपने पार्षद को मेयर बनाना चाहती। ऐसे में बीजेपी डिप्टी मेयर पद से संतुष्ट नहीं होती। इस वजह से दोनों सहयोगी दलों में गठबंधन नहीं हो सका।

 

एनसीपी-शिवसेना भी कट्टर दुश्मन : जानकारी के मुताबिक, एनसीपी जब अहमदनगर में सक्रिय हुई थी तो उसकी जिम्मेदारी अरुण जगताप, संग्राम जगताप, पूर्व विधायक दादा कर्मकार के कंधों पर थी। उस दौरान केडगांव में शिवसेना नेताओं की हत्या हुई थी, जिसमें एनसीपी के स्थानीय नेताओं पर गंभीर आरोप लगाए गए थे। वहीं, एनसीपी विधायक संग्राम जगताप, संदीप गुंजल, बालासाहेब कोटकर और भानुदास कोटकर के खिलाफ केस दर्ज करा दिया गया था। इस विवाद के बाद एनसीपी और शिवसेना के स्थानीय नेता कट्टर विरोधी हो गए।