केरल में इस साल हुए विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद भाजपा के अंदरखाने के नेताओं में ही विवाद शुरू हो गया है। आमतौर पर किसी राज्य में हार के लिए पार्टी की राज्य इकाई को जिम्मेदार माना जाता है। हालांकि, इस बार केरल में पार्टी के खराब प्रदर्शन के लिए केंद्रीय नेतृत्व को लेकर भी सवाल उठाए जा रहे हैं।
भाजपा नेतृत्व में नतीजों को लेकर कलह क्यों?: केरल विधानसभा चुनाव में इस बार फिर सीपीएम सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। जहां सीपीएम के नेतृत्व वाले लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट ने बड़ी जीत हासिल की, वहीं इस बार भाजपा को एक भी सीट नहीं मिली। पिछली केरल विधानसभा में बीजेपी ने एक सीट जीती थी, दक्षिणी केरल से। लेकिन इस बार वो सीट पार्टी ने गंवा दी। चौंकाने वाली बात यह है कि पार्टी के मुख्यमंत्री उम्मीदवार मेट्रोमैन ई श्रीधरन और भाजपा प्रदेशाध्यक्ष के सुरेंद्रन दोनों सीटों से चुनाव हार गए। इसे लेकर अब पार्टी के स्थानीय नेता केंद्रीय नेतृत्व पर ही निशाना साध रहे हैं।
केरल में पार्टी नेताओं का एक धड़ा संगठन के एक वरिष्ठ नेता के गलत फैसलों और खराब योजना को हार का जिम्मेदार ठहरा रहा है। बताया गया है कि इस वरिष्ठ नेता का केरल इकाई के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री पर गहरा प्रभाव है। इसी हफ्ते की शुरुआत में केरल में हार की समीक्षा के लिए जब भाजपा संगठन महासचिव बीएल संतोष ने जिलाध्यक्षों और अन्य नेताओं की बैठक बुलाई तो इसमें काफी कम लोग हिस्सा लेने पहुंचे।
सूत्रों का कहना है कि इस मीटिंग में पार्टी के 50 फीसदी स्थानीय नेता भी नहीं पहुंचे। इस बीच अब राज्य में पार्टी नेता केंद्रीय नेतृत्व की ओर से मीटिंग बुलाए जाने का इंतजार कर रहे हैं, ताकि वे राज्य में विधानसभा चुनाव में हार को लेकर अपनी शिकायत दर्ज करा सकें।