नौसेना प्रमुख एडमिरल आरके धोवन ने गुरुवार को कहा कि सशस्त्र बलों ने सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों और इसकी कमियों के संबंध में रक्षा मंत्रालय के समक्ष अपनी चिंताओं का इजहार किया है। उन्होंने कहा कि आयोग की रिपोर्ट का परीक्षण किया गया है। इस बात को तय करने के प्रयास किए जा रहे हैं कि अधिकारियों और सेना, नौसेना और वायु सेना के जवानों के लिए वो जो भी जरूरी महसूस करते हैं उसे उन्हें मुहैया कराया जाए।

धोवन ने यहां वार्षिक संवाददाता सम्मेलन के दौरान कहा कि जो भी कमियां हम महसूस करते हैं उसे तीनों सेनाएं रक्षा मंत्रालय के समक्ष उठा रही हैं ताकि देख सकें कि हम अपने लोगों, अपने अधिकारियों, हमारे असैनिकों के लिए जो भी जरूरी है उन्हें मुहैया कराया जाए। उन्होंने कहा कि चिंता के सभी मुद्दों को मंत्रालय के समक्ष उठाया जा रहा है। नौसेना प्रमुख सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों पर सशस्त्र बलों में असंतोष के सवाल का जवाब दे रहे थे। यह असंतोष खासतौर पर अधिकारियों के स्तर पर है।

अधिकारियों का कहना है कि अगर वेतन आयोग को मौजूदा रूप में लागू किया गया तो यह उन्हें वेतन, सुविधाओं और दर्जे के मामले में उनके असैनिक समकक्षों से काफी नीचे कर देगा। सशस्त्र बलों की मुख्य शिकायतों में से एक है जोखिम कठिनाई मैट्रिक्स। सियाचिन ग्लेशियर में पदस्थापित एक सैनिक जो जोखिम और कठिनाई के सर्वोच्च स्तर पर है उसे प्रतिमाह भत्ते के तौर पर 31 हजार 500 रुपए मिलते हैं। इसके विपरीत एक अखिल भारतीय सेवा का असैनिक नौकरशाह अपने वेतन का 30 फीसद कठिनाई भत्ता हासिल करता है, जब उसे उसके ‘कंफर्ट जोन’ के बाहर पदस्थापित किया जाता है।

नए वेतनमान के तहत पूर्वोत्तर के किसी शहर में पदस्थापित वरिष्ठ आइएएस अधिकारी सियाचिन में पदस्थापित सैन्य अधिकारियों को प्रतिमाह मिलने वाले 31 हजार 500 रुपए के कठिनाई भत्ते की तुलना में अधिक कठिनाई भत्ता हासिल करेगा।