तमिलनाडु के विरुधुनगर जिले की एक गर्भवती महिला को संक्रमित व्यक्ति का खून चढ़ाये जाने के कारण एचआईवी संक्रमण होने का मामला सामने आया है। जिसके बाद तमिलनाडु सरकार ने राज्यों के सभी ब्लड बैंकों के नमूनों की समीक्षा करने का आदेश दिया है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बुधवार को कहा कि घटना के सिलसिले में सत्तूर में स्थित एक सरकारी अस्पताल के ब्लड बैंक के एक कर्मचारी को बर्खास्त कर दिया गया है, वहीं दो अन्य को निलंबित कर दिया गया है। राज्य सरकार ने कहा कि वह महिला पर विषाणु के असर को रोकने के हरसंभव प्रयास कर रही है। उन्होंने यह भी कहा कि सभी ब्लड बैंकों में रक्त के नमूनों की समीक्षा की जाएगी ताकि इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति नहीं हो सके।
विरुधुनगर स्वास्थ्य सेवा के संयुक्त निदेशक आर मनोहरन ने पीटीआई से कहा कि महिला को उसकी दूसरी संतान के जन्म के लिए सत्तूर के निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था और डॉक्टरों ने उसे हीमोग्लोबिन की कमी के कारण खून चढ़वाने की सलाह दी थी। उसे एक ब्लड बैंक से लाया गया खून चढ़ाया गया। बाद में पता चला कि रक्तदाता को एचआईवी संक्रमण था। उसके उपरांत महिला के खून की भी जांच की गयी और इस बात की पुष्टि हुई कि उसे भी संक्रमण हो गया है।
हालाँकि प्रारंभिक जांच में यह पता चला है कि ब्लड बैंक के कर्मचारियों ने निजी अस्पताल को रक्त देने से पहले उसकी सही से जांच नहीं की थी। अधिकारियों के मुताबिक खून जांचने वाले ने उस पर ‘सुरक्षित’ की पर्ची चिपका कर दी थी।
प्रदेश के मत्स्यपालन मंत्री डी जयकुमार ने कहा कि ब्लड बैंक के दोषी कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की गयी है। जिला कलेक्टर ने भी अफसोस जताया है। उन्होंने चेन्नई में संवाददाताओं से कहा, ‘‘सरकार तकनीक की मदद से महिला पर एचआईवी के असर को रोकने के लिए कदम उठा रही है।’’ महिला के पति ने संवाददाताओं से बातचीत में घटना के लिए तमिलनाडु सरकार को जिम्मेदार ठहराया है और अपनी पत्नी के बेहतर इलाज की मांग की है। उसने कहा कि उसे सरकारी नौकरी नहीं चाहिए और वह बस अपनी पत्नी का अच्छे से अच्छा इलाज चाहता है।