मध्य प्रदेश के कुनो नेशनल पार्क में एक मादा चीता शाशा की मृत्यु हो गई है। उसको किडनी इंफेक्शन था, जिस वजह से उसकी मृत्यु हुई है। पिछले साल दिसंबर में नामीबिया से जो चीते लाए गए थे, शाशा भी उन्हीं में से थी। बताया गया कि भारत लाए जाने से पहले से ही शाशा किडनी इंफेक्शन से जूझ रही थी। इससे पहले रविवार को हैदराबाद के चिड़ियाघर में बंद आखिरी चीते अब्दुल्ला की मौत हो गई थी। हृदय गति रुकने से उसकी मृत्यु हो गई।

मध्य प्रदेश के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ, वन्यजीव) जे एस चौहान ने पीटीआई-भाषा को बताया, “चीता साशा की गुर्दे के समस्या के कारण मृत्यु हो गई क्योंकि उसका क्रिएटिनिन स्तर बहुत अधिक था।” साशा उन आठ चीतों में शामिल थी जिन्हें 17 सितंबर को नामीबिया से लाकर कूनो राष्ट्रीय उद्यान में रखा गया था।

उन्होंने कहा कि मादा चीता की सेहत करीब छह माह से ठीक नहीं थी और हाल ही में उसे इलाज के लिए पृथकवास बाड़े में वापस लाया गया था। उन्होंने कहा कि साशा का क्रिएटिनिन स्तर 400 से ऊपर था, जिससे उसकी मौत हो गई। उन्होंने कहा कि आगे के ब्योरे की प्रतीक्षा है। उल्लेखनीय है कि क्रिएटिनिन का स्तर अधिक होना गुर्दे के ठीक तरह से काम नहीं करने का संकेत होता है।

हैदराबाद के नेहरू जूलॉजिकल पार्क में दिल का दौरा पड़ने से चीते की मौत

हैदराबाद के नेहरू जूलॉजिकल पार्क में दिल का दौरा पड़ने से 13 वर्षीय नर चीते की मौत हो गई। चिड़ियाघर के एक अधिकारी ने बताया कि चीता, सऊदी अरब के राजकुमार के द्वारा उपहार में दिया गया था जिसकी मौत 24 मार्च को हुई। अधिकारी ने बताया कि विशेषज्ञों ने चीते का पोस्टमॉर्टम किया और बताया कि चीते की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई है। उन्होंने बताया कि जांच के लिए नमूने एकत्र कर लिए गए हैं और एक सप्ताह के भीतर आगे की रिपोर्ट आ सकती है। अधिकारी ने बताया कि अब्दुल्ला की मौत के बाद नेहरू जूलॉजिकल पार्क में अब कोई चीता नहीं बचा है।