राजस्थान में सोमवार (17 सितंबर) को विभिन्न मांगें न पूरी होने को लेकर राज्य परिवहन निगम के कर्मचारियों का गुस्सा फूटा। वे सभी एक दिवसीय हड़ताल पर चले गए, जिससे राज्य में तकरीबन 4500 बसों का संचालन नहीं हुआ। रोडवेज कर्मचारियों की मांगों में सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू कराना और रोडवेज में नई भर्तियां कराना शामिल है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह हड़ताल एक दिवसीय जरूर है। पर इसे बढ़ाया भी जा सकता है। जयपुर में राजस्थान रोडवेज वर्कर्स यूनियन के महासचिव किशन सिंह राठौर ने इस बारे में पीटीआई से बात की। उन्होंने कहा, “राजस्थान राज्य सड़क परिवन निगम (आरएसआरटीसी) के पास 4716 बसें हैं। 1000 बसें इनमें कॉन्ट्रैक्ट पर हैं, जिसमें से ज्यादातर हड़ताल के दौरान नहीं चलीं। हड़ताल को आगे बढ़ाया भी जा सकता है।”
बकौल राठौर, “रविवार को यूनियन के प्रतिनिधियों ने परिवहन मंत्री यूनुस खान से मुलाकात की। लेकिन उसका कोई खास नतीजा नहीं निकला। मध्यरात्रि से ही कर्मचारी हड़ताल पर चले गए थे। हम मुख्य रूप से चाहते हैं कि हमें सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार ही तनख्वाह दी जाए। विभाग इसके साथ नई भर्तियां भी करे और नई बसें भी खरीदे।”
राठौर के मुताबिक, “आरएसआरटीसी की बसों से हर रोज तकरीबन 10 लाख लोग सफर करते हैं।” ऐसे में समझा जा सकता है कि राज्य भर में इस एक दिवसीय हड़ताल के कारण लोगों को कितनी समस्याओं का सामना करना पड़ा।
राज्य में इससे पहले वसुंधरा सरकार ने 10 सितंबर को सरकारी कर्मचारियों को एक खुशखबरी दी थी। यहां सरकारी कर्मचारियों के महंगाई भत्ते (डीए) में दो फीसदी की बढ़ोतरी की गई, जिसके अंतर्गत डीए सात फीसदी से बढ़ाकर नौ फीसदी कर दिया गया। यह बढ़ोतरी एक जुलाई 2018 से लागू होगी। सरकार के इस कदम से करीब आठ लाख सरकारी कर्मचारी और 3.5 लाख पेंशनभोगी लाभान्वित होंगे।
बता दें कि हाल ही में छत्तीसगढ़ में रमन सिंह सरकार ने राज्य के सरकारी अध्यापकों को बड़ी सौगात दी थी। सीएम ने ऐलान किया था कि सरकारी कॉलेजों, विश्वविद्यालयों और 100 फीसदी अनुदान प्राप्त अशासकीय कॉलेजों के शिक्षकों को सातवें वेतन आयोग के हिसाब से तनख्वाह दी जाएगी।