जिस उम्र में बच्चे को अपने माता-पिता की सबसे ज्यादा जरूरत होती है, जिस उम्र में बच्चे के हाथ में खिलौना होता है, उसी उम्र में एक बच्चे को अपने पिता की चिता को आग देना पड़ा। हम बात कर रहे हैं बीएसएफ के शहीद जवान लोकेंद्र सिंह और उनके 6 माह के बेटे के बारे में। छत्तीसगढ़ के कांकेर में नक्सलियों के साथ हुई मुठभेड़ में शहीद हुए लोकेंद्र सिंह को सोमवार के दिन सीकर में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। उनकी चिता को उनके 6 माह के मासूम दक्षप्रताप ने अग्नि दी।
सीकर के नाथूसर गांव के बेटे लोकेंद्र की अंतिम विदाई के वक्त हर किसी की आंखें भीगी हुई थी, लेकिन लोग उस वक्त और भी ज्यादा भावुक हो गए थे, जब दक्ष ने अपने शहीद पिता की चिता को आग लगाई। यह पल हर किसी की आंखों को नम कर गया। दूध की बोतल थामने वाली उम्र में दक्ष ने तिरंगा थामा, यह दृश्य देख हर कोई भारत माता की जय के नारे लगाने लगा।
बता दें कि 15 जुलाई (रविवार) को कांकेर में बीएसएफ के जवानों और नक्सलियों के बीच जोरदार मुठभेड़ हुई थी, जिसमें दो जवान शहीद हो गए थे, तो वहीं एक जवान गंभीर रूप से घायल हो गया था। लोकेंद्र के अलावा शहीद जवानों में पंजाब के मुख्तियार सिंह भी शामिल थे। लोकेंद्र का शव सोमवार की सुबह 10 बजे अपने पैतृक गांव नाथूसार पहुंचा था। उनके अंतिम दर्शन के लिए हजारों लोगों की भीड़ जमा हुई थी। हर कोई लोकेंद्र के पार्थिव शरीर को एक झलक देखना चाह रहा था। शहीद जवान के अंतिम संस्कार के वक्त इतने सारे लोग इकट्ठा हो गए थे कि मोक्षधाम ही छोटा पड़ गया था।
कांकेर पुलिस अधीक्षक के.एल ध्रुव ने जानकारी देते हुए बताया था कि प्रतापपुर थाना क्षेत्र के ग्राम मोहल्ला कैंप की 114 बटालियन सीमा सुरक्षाबल के जवान गश्ती से लौट रहे थे कि घात लगाकर बैठे नक्सलियों ने विस्फोट कर गोलीबारी शुरू कर दी। इस पर जवानों ने जवाबी गोलीबारी की। दोनों ओर से लगभग एक घंटे तक गोलीबारी हुई जिसमें सीमा सुरक्षाबल के दो जवान शहीद हो गए।