पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी में एक हाथी ने चार साल की बच्ची की जान बचाई। यह घटना राष्ट्रीय राजमार्ग-31 पर गरुमारा जंगल के पास हुई। व्यवसायी नीतू घोष अपनी पत्नी तितली और बेटी अहाना के साथ स्कूटी पर थे और लाटागिरी में एक पूजा में शामिल होकर लौट रहे थे। रास्ते में उन्हें हाथियों का झुंड मिला। नीतू ने हाथियों के झुंड की आवाज सुनकर अपनी स्कूटी साइड में रोक दी और झुंड के निकलने का इंतजार करने लगे। झुंड के दूसरे रास्ते पर मुड़ने पर उन्होंने दोबारा स्कूटी स्टार्ट की, लेकिन थोड़ी दूरी पर उन्हें दोबारा हाथियों का झुंड मिल गया। घोष ने तेजी से ब्रेक लगाया, जिससे वे पत्नी और बच्ची सहित गिर गए।
बच्ची को पैरों के बीच रख बचाई जानः घोष और उनकी पत्नी सड़क के किनारे जाकर गिरे, जबकि बच्ची सड़क के बीच गिर गई। झुंड में शामिल एक हाथी ने आगे आकर बच्ची को अपने पैरों के बीच दबा लिया, जिससे उसे कोई खरोंच तक नहीं आई। इसके बाद हाथियों का झुंड बच्ची के पास से गुजर गया।
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ट्रक ड्राइवर ने हॉर्न बजाकर भगायाः इस दौरान रास्ते से गुजर रहे एक ट्रक ड्राइवर ने यह सब देखा और दंपती व बच्ची के बचाव के लिए जोर-जोर से ट्रक का हॉर्न बजाने लगा। इससे डरकर सभी हाथी रास्ते से हट गए। उसके बाद ट्रक चालक ने दंपती को नजदीक स्थित अस्पताल में भर्ती कराया, जहां उनका इलाज चल रहा है। इस हादसे में बच्ची को एक भी खरोंच नहीं आई। हालांकि, डॉक्टरों का कहना है कि बच्ची अभी सदमे में है। गरुमार रेंज के वन अधिकारी ने बताया कि हाथी कभी-कभी जंगल के एक हिस्से से दूसरे हिस्से में जाने के दौरान राजमार्ग पर खड़े रहते हैं। उन्हें रास्ते से हटाने के लिए पटाखों का इस्तेमाल किया जाता है।