उत्तराखंड के ऋषिकेश में 90 साल पुराने लक्ष्मण झूला पुल से गुजरना अब लोगों के लिए एक सपना भर ही रह जाएगा। उत्तराखंड के लोक निर्माण विभाग ने इस पुल पर लोगों की आवाजाही पर रोक लगा दी है। क्योंकि अब पुल से गुजरना खतरे से खाली नहीं है। हालांकि पुल की मियाद अब से दस साल पहले यानी 2009 में ही खत्म हो गई थी। 17 जुलाई से शुरू होने वाली कांवड़ यात्रा के दौरान कांवडियों के लक्ष्मण झूला पुल से जाने पर प्रशासन ने पाबंदी लगा दी है। इस पुल से होकर कांवाड़ियां नीलकंठ महादेव मंदिर दर्शन करने के लिए जाते थे। अब कांवड़िये राम झूला पुल से नीलकंठ जाएंगे। राज्य सरकार ने इसके बदले नया पुल बनाने का एलान किया है और यह कुंभ मेले से पहले चालू हो जाएगा। लक्ष्मण झूला पुल का निर्माण 90 साल पहले 1929 में ब्रिटिश हुकूमत के समय हुआ था। लक्ष्मण झूला पुल के निर्माण की परिकल्पना अक्तूबर 1924 में आई दैवीय आपदा के बाद की गई थी। हालांकि इस पुल की नींव 1927 में रखी गई और इसके निर्माण में दो साल लगे थे। पुल को आम जनता के लिए 11 अप्रैल 1930 में खोला गया था।

यह पुल टिहरी गढ़वाल जिले के तपोवन से पैड़ी गढ़वाल जिले के स्वर्गाश्रम क्षेत्र को जोड़ता है। इस पुल पर छह फीट का रास्ता बनाया गया था। यह पुल पूरे विश्व में इतना लोकप्रिय हुआ कि ऋषिकेश की पहचान लक्ष्मण झूला पुल से होने लगी। इस पुल के पास लक्ष्मण जी का मंदिर है। मान्यता है कि रावण वध के बाद इस तपोवन क्षेत्र में भगवान राम के छोटे भाई लक्ष्मण जी ने गंगा तट पर तपस्या की थी और गंगा के इस तट को जूट की रस्सियों के सहारे गंगा नदी को पार किया था। 1889 से पहले यहां पुल जूट की रस्सी से बना हुआ था। इसमें लोगों को छींके में बैठाकर खींचा जाता था और इस तरह इस स्थान पर लोग गंगा नदी को पार करते थे। जब इस पुल से यात्री गुजरते हैं, तो पुल झूले की तरह झूलता है। इसलिए इस पुल का नाम लक्ष्मण झूला पड़ा। इस पुल के पश्चिमी किनारे पर गंगा तट पर लक्ष्मण जी का मंदिर है जबकि इसके दूसरी ओर पूर्वी दिशा में गंगा तट पर भगवान राम का मंदिर स्थापित है। कहा जाता है कि भगवान राम खुद इस स्थल पर आए थे और वे गंगा जी के इस प्राकृतिक सौंदर्य को देखकर अभिभूत हो गए थे। लक्ष्मण झूला पुल को पार कर बाईं ओर जाने वाला पैदल रास्ता बदरीनाथ तथा दाईं ओर को जाने वाला रास्ता स्वर्गाश्रम की ओर जाता है।

उत्तराखंड लोक निर्माण विभाग के डिजाइनर पीके चमोली ने अपनी तकनीकी सर्वे रिपोर्ट में इस पुल की मियाद खत्म होना बताया। साथ ही चेतावनी दी कि इस पुल से गुजरना अब खतरे से खाली नहीं है। उत्तराखंड के अपर मुख्यसचिव ओमप्रकाश ने इस पुल को बंद करने के निर्देश जारी कर दिए हैं। लक्ष्मण झूला पुल को देखने के लिए लोग देश-विदेश से बड़ी तादाद में आते हैं। इस पुल से अब तक रोजाना करीब 20 हजार लोगों का आना-जाना होता रहा है। सावन के महीने में हरिद्वार और ऋषिकेश में लगने वाले कांवड़ मेले के दौरान इस पुल पर आवाजाही करने वालों की तादाद तकरीबन 25 लाख पहुंच जाती है। ऋषिकेश में गंगा के ऊपर बना यह पुल इंजीनियरिंग का एक अनूठा नमूना है। लक्ष्मण झूला को उत्तराखंड की एक सांस्कृतिक धरोहर के रूप में माना जाता है। यह पुल ऋषिकेश के प्रमुख आकर्षण केंद्रों में से एक है। इस पुल का संबंध बॉलीवुड की कई फिल्मों और टीवी धारावाहिक से भी है।

लोक निर्माण विभाग उत्तराखंड ने लक्ष्मण झूला पुल के दोनों ओर तारबाड़ लगाकर इसकी आवाजाही पूरी तरह बंद कर दी है। लोक निर्माण विभाग नरेंद्र नगर क्षेत्र के अधिशासी अभियंता मोहम्मद आरिफ खान ने बताया कि शासन के आदेश पर इस पुल पर आवाजाही पूरी तरह बंद कर दी गई है। उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था) अशोक कुमार का कहना है कि कांवड़ मेले में नई व्यवस्थाओं के अनुसार कांवड़ियों और अन्य यात्रियों को नीलकंठ महादेव मंदिर के दर्शन करने के लिए राम झूला से होकर जाना पड़ेगा और उनका वापसी मार्ग पशुलोक बैराज ऋषिकेश होगा।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि ऋषिकेश में लक्ष्मण झूला पुल की तरह ही नए झूला पुल का जल्द निर्माण किया जाएगा। यह पुल हरिद्वार में 2021 में होने वाले कुंभ मेले के आयोजन से पहले ही तैयार कर लिया जाएगा। राज्य सरकार ने लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों को नए झूला पुल के निर्माण के बाबत निर्देश जारी कर दिए हैं। वहीं राज्य सरकार पुराने लक्ष्मण झूला पुल को उत्तराखंड की विरासत के रूप में सुरक्षित रखने पर भी गंभीरता से विचार कर रही है।

लोक निर्माण विभाग के प्रमुख अभियंता हरिओम शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद विभाग वैकल्पिक झूला पुल का जल्द से जल्द प्रस्ताव तैयार करेगा। जिसकी डीपीआर एक महीने के भीतर ही तैयार कर दी जाएगी। इस पुल के निर्माण के लिए निविदा की प्रक्रिया कर पुल का निर्माण कार्य चालू कर दिया जाएगा। अनुमान है कि एक साल में नया झूला पुल बन कर तैयार हो जाएगा।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि ऋषिकेश में लक्ष्मण झूला पुल की तरह ही नए झूला पुल का जल्द निर्माण किया जाएगा। यह पुल हरिद्वार में 2021 में होने वाले कुंभ मेले के आयोजन से पहले ही तैयार कर लिया जाएगा। राज्य सरकार ने लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों को नए झूला पुल के निर्माण के बाबत निर्देश जारी कर दिए हैं।
– त्रिवेंद्र सिंह रावत
मुख्यमंत्री, उत्तराखंड

कांवड़ मेले में नई व्यवस्थाओं के अनुसार कांवड़ियों और अन्य यात्रियों को नीलकंठ महादेव मंदिर के दर्शन करने के लिए राम झूला से होकर जाना पड़ेगा और उनका वापसी मार्ग पशुलोक बैराज ऋषिकेश होगा।
– अशोक कुमार
उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक