गोरखपुर लोकसभा सीट के उपचुनाव में जीते प्रवीण निषाद की उम्र महज 29 साल है और पेशे से इंजीनियर हैं। उन्होंने इस सीट पर चौंकाने वाली जीत दर्ज की। क्योंकि पिछले 29 साल से गोरक्ष धाम मठ का ही इस सीट पर कब्जा रहा। पांच बार से योगी आदित्यनाथ यहां से सांसद बनते रहे, उससे पहले उनके गुरु महंत अवैद्यनाथ इस सीट का प्रतिनिधित्व किया करते थे। मगर मठ के प्रभाव को प्रवीण निषाद के समर्थन में फिट बैठने वाले जातीय समीकरण ने तार-तार कर रख दिया। योगी आदित्यनाथ 1989 से 2017 तक लगातार सांसद रहे। प्रवीण के पिता डॉ. संजय निषाद पार्टी संचालित करते हैं। प्रवीण निषाद का यह पहला चुनाव रहा और इसी में उन्होंने धमाकेदार जीत दर्ज की।
प्रवीण निषाद यूपीटीयू के छात्र रहे हैं। उन्होंने नोएडा के कॉलेज से 2011 में बीटेक किया। रीतिका से शादी के बाद एक बेटा और एक बेटी है। उन्होंनने नामांकन के दौरान जमा शपथपत्र में कुल 11 लाख रुपये की संपत्ति दिखाई है। वही 99 हजार रुपये का कर्ज भी है। प्रवीण के ऊपर कोई आपराधिक मुकदमा भी नहीं दर्ज है। जमीन-जायदाद भी उनके नाम नहीं है। प्रवीण निषाद को उपचुनाव के दौरान बंपर वोट मिले। उन्हें जहां कुल 4,56,513 वोट वहीं बीजेपी से उनके निकटतम प्रतिद्वंदी उपेन्द्र शुक्ल को 4,34,625 वोट मिले। जबकि 2014 के लोकसभा के चुनाव में योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर सीट पर तीन लाख से ज्यादा मतों से चुनाव जीता था।
समाजवादी पार्टी ने इस बार जातीय समीकरण को ध्यान में रखते हुए निषाद उम्मीदवार को उतारने का फैसला किया। पहली पसंद युवा प्रवीण निषाद बने। इस बीच बसपा ने राज्यसभा चुनाव में अपने उम्मीदवार के समर्थन के बदले में उपचुनाव में समर्थन देने का फैसला किया। इससे दोनों लोकसभा सीटो के सपा प्रत्याशियों की मानो लॉटरी लग गई। इसी बात ने प्रवीण निषाद की किस्मत बदल दी। उन्हें सपा और बसपा के कोर वोटबैंक के साथ एकमुश्त निषादों का वोट मिला। इसके अलावा अन्य पिछड़ा वर्ग में भी जमकर सेंधमारी की। इन सब बातों ने 29 वर्षीय प्रवीण निषाद की जीत की पटकथा लिख दी। बता दें के मुख्यमंत्री बनने के कुछ महीने के बाद योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर लोकसभा सीट से इस्तीफा दे दिया था। जिसके बाद यह उपचुनाव हुआ।
