मुंबई में 26/11 के आतंकवादी हमलों में बचने वाली सबसे कम उम्र की लड़की और हमलों की प्रत्यक्षदर्शी देविका रोटावन (Devika Rotawan) ने एक बार फिर से कोर्ट का रुख किया है। उन्होंने आवास आवंटन के अनुरोध को लेकर हाई कोर्ट का रुख किया है। महाराष्ट्र सरकार की तरफ से मकान की अर्जी खारिज किए जाने के बाद देविका ने हाईकोर्ट का रुख किया है।

यह दूसरी बार है जब देविका रोटावन हाईकोर्ट पहुंची हैं। इससे पहले 2020 में उन्होंने इसी तरह की एक याचिका दाखिल की थी। अक्टूबर 2020 में हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को देविका की याचिका पर गौर करने और इस बारे में आदेश जारी करने के निर्देश दिए थे। देविका की ओर से जुलाई 2022 में दाखिल की गई नई याचिका में कहा गया कि महाराष्ट्र सरकार ने उसकी अर्जी खारिज कर दी है, जिसके कारण वह हाईकोर्ट में दूसरी बार याचिका दाखिल कर रही हैं।

मिला था 13.26 लाख का मुआवजा: बृहस्पतिवार (4 अगस्त 2022) को देविका रोटावन की याचिका सुनवाई के लिए न्यायमूर्ति एस वी गंगापुरवाला और न्यायमूर्ति एम एस कर्णिक की खंडपीठ के समक्ष आई। जहां महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सरकारी वकील ज्योति चव्हाण ने कहा कि अक्टूबर 2020 के आदेश के अनुपालन में देविका को 13.26 लाख रुपए मुआवजे के तौर पर दिए गए थे।

देविका के लिए नहीं उपलब्ध था कोई वकील: केंद्र सरकार की ओर से पेश वकील आर बुबना ने कहा कि रोटावन को सरकार की नीति के अनुसार हमलों के बाद दस लाख रुपए मुआवजे के तौर पर दिए गए थे। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता अधिकार के तौर पर और मांग नहीं कर सकती। बृहस्पतिवार को चूंकि देविका के लिए कोई वकील उपलब्ध नहीं था इसलिए पीठ ने मामले की सुनवाई 12 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दी।

आजीविका अर्जित करना संभव नहीं: अपनी याचिका में देविका ने कहा कि उनके पैर में गोली लगी है, साथ ही उनके पिता और भाई को भी चोटें आई हैं। उन्होंने कहा कि कई चोटों के कारण, उसके पिता और भाई के लिए आजीविका अर्जित करना संभव नहीं था। याचिका में यह भी कहा गया है कि वह और उसका परिवार गरीबी में रह रहे हैं और उन्हें बेघर कर दिया जाएगा क्योंकि उन्होंने अपने घर का किराया नहीं दिया है।

देविका रोटावन ने अपनी याचिका में आगे कहा कि 26/11 अटैक के बाद कई केंद्र और राज्य सरकार के अधिकारियों ने उनके घर का दौरा किया था और उन्हें आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) कोटे के तहत आवास उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया था। देविका ने अपनी याचिका में दावा किया कि अधिकारियों ने उनकी शिक्षा, उनके और उनके परिवार के इलाज के लिए आर्थिक मदद की पर्याप्त व्यवस्था करने का भी आश्वासन दिया था, लेकिन उसे कोई मदद नहीं मिली।