Muslim Winners In Bihar: बिहार चुनाव में एनडीए ने अप्रत्याशित प्रदर्शन करते हुए 200 से ज्यादा सीटें अपने नाम की हैं। महागठबंधन का प्रदर्शन निराशाजनक रहा और वह सिर्फ़ 35 सीटों पर सिमट गया। समझने वाली बात यह है कि बिहार विधानसभा में इस बार भी मुस्लिम विधायकों की संख्या कम हो गई है।
बिहार में मुसलमानों की आबादी 17.7% यानी लगभग 13.07 करोड़ है। इसके बावजूद इस बार के चुनाव में महागठबंधन और एनडीए, दोनों ने ही 2020 की तुलना में कम मुस्लिम उम्मीदवार उतारे थे।
सीमांचल में AIMIM का प्रभाव
ओवैसी की पार्टी AIMIM ने इस बार 5 सीटें जीती हैं। उसने कुल 25 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल इमान अमौर सीट से जीत गए। 2020 के विधानसभा चुनाव में भी मुस्लिम-बहुल सीमांचल क्षेत्र में AIMIM ने अच्छा प्रदर्शन किया था।
दूसरे दलों का प्रदर्शन
जेडीयू ने इस चुनाव में चार मुस्लिम उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन केवल चैनपुर से मोहम्मद जमां खान ही अपनी सीट बचा पाए। 2020 में वे बीएसपी के टिकट पर जीते थे, लेकिन बाद में उन्होंने जेडीयू जॉइन कर ली। समझने वाली बात यह है कि चैनपुर कोई मुस्लिम-बहुल सीट नहीं है, इसलिए बीजेपी ने यहां हिंदू वोटरों को साधने के लिए पूरे जोर-शोर से प्रचार किया था।
चिराग पासवान की पार्टी का प्रदर्शन
चिराग पासवान की एलजेपी (RV) ने भी एक मुस्लिम प्रत्याशी मोहम्मद कलीमुद्दीन को बहादुरगंज से मैदान में उतारा था, लेकिन वे तीसरे स्थान पर रहे। यहां ओबीसी की पार्टी के तौसीफ आलम ने बड़ी जीत हासिल की।
राजद के मुस्लिम चेहरे
राजद की टिकट पर आसिफ अहमद ने भी अपनी सीट से जीत दर्ज की। वहीं, बाहुबली मोहम्मद शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा साहब ने रघुनाथपुर सीट जीती। यह 21 साल बाद मौका है जब शहाबुद्दीन के परिवार का कोई सदस्य विधानसभा पहुंचेगा। राजद की रणनीति यह मानी जा रही है कि ओसामा को टिकट तब दिया गया जब वर्तमान विधायक हरिशंकर यादव का टिकट काटा गया।
कांग्रेस की सीमांचल में पकड़
कांग्रेस का प्रदर्शन लगभग 2020 जैसा ही रहा। उसने सीमांचल में अपनी पकड़ बनाए रखी और किशनगंज व अररिया में जीत हासिल की।
पिछले चुनावों में मुस्लिम प्रतिनिधित्व
2010: बिहार विधानसभा में मुस्लिम विधायकों की संख्या 19 थी। इनमें से जेडीयू के 7, राजद के 6, कांग्रेस के 3, एलजेपी के 2 और बीजेपी का 1 विधायक शामिल था।
2015: 2015 के विधानसभा चुनाव में मुस्लिम विधायकों की संख्या बढ़कर 24 हो गई। यह कुल विधानसभा का लगभग 9.87% था। इनमें 12 राजद, 6 कांग्रेस, 5 जेडीयू और 1 एलजेपी के थे।
2020: 2020 में मुस्लिम विधायकों की संख्या घटकर 19 रह गई। इनमें से 8 राजद, 5 AIMIM, 4 कांग्रेस, तथा बीएसपी और CPI-ML के एक-एक मुस्लिम विधायक जीते थे।
ये भी पढ़ें- नीतीश नहीं बनेंगे बिहार के सीएम?
