उत्तर प्रदेश के इटावा में वर्षों से बने प्राथमिक विद्यालयों के भवन अब जर्जर स्थिति में पहुंच चुके हैं। स्कूल में बच्चों को इतनी ठंड में मजबूरी में खुले असमान के नीचे जमीन पर बैठकर पढ़ाई करनी पड़ रही है। स्कूल प्रबंधन कई बार शिक्षा विभाग के अधिकारियों से लिखित और मौखिक रूप से शिकायत कर चुका है। लेकिन पैसा न होने के कारण स्कूल के भवनों की मरम्मत का कार्य नहीं कराया जा रहा है। इटावा जिले के 209 स्कूलों में शिक्षा ग्रहण कर रहे नौनिहालों के साथ कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। इसका अंदेशा शिक्षा विभाग को भी है । इसी कारण शिक्षा विभाग में जर्जर स्कूलों का सर्वे कराया तब जाकर यह हकीकत सामने आई। इसमें 32 विद्यालय अल्प जर्जर भी शामिल किए गए हैं। इटावा जिले में 1238 प्राथमिक और 537 जूनियर विद्यालय हैं। इनमें से बेहद जर्जर अल्प जर्जर को मिलाकर इनकी संख्या 209 है। इनमें 43 प्राथमिक तथा पांच जूनियर स्कूल हैं। बढ़पुरा ब्लाक में 37 में से 31 प्राथमिक एवं 6 जूनियर,बसरेहर ब्लाक में 27 में से 25 प्राथमिक तथा 2 जूनियर,जसवंतनगर ब्लाक के 25 में से 21 प्राथमिक 6 जूनियर,चकरनगर ब्लाक में 30 में से 17 प्राथमिक 6 जूनियर,भरथना ब्लाक में 21 में से 18 प्राथमिक 3 जूनियर, सैफई ब्लाक में 9 में से 8 प्राथमिक एक जूनियर है। नगर क्षेत्र में 6 में से 3-3 प्राथमिक एवं जूनियर हाई स्कूल शामिल हैं।
इटावा शहर के जर्जर विद्यालयों में नौरंगाबाद, पंसारीटोला तथा पुलिस लाइन के प्राथमिक विद्यालय हैं। जर्जर विद्यालयों की सूची में छिपैटी, पक्का तालाब तथा कटरा शमशेर खां के जूनियर हाई स्कूल भी शामिल हैं। पक्का तालाब स्थित जूनियर हाई स्कूल की प्रधानाध्यापक राहत जहां ने भी मांग की है कि उनके स्कूल का लिंटर गिरवा दिया जाए। प्राथमिक विद्यालय की प्रधानाध्यापिका रेखा भदौरिया बताती हैं कि उनके स्कूल का भवन इतनी जर्जर स्थिति में पहुंच गया है कि कमरों के अंदर बैठकर बच्चों को पढ़ाने में उन्हें डर लगता है। मजबूरी में बच्चों को खुले असमान के नीचे बैठकर पढ़ाना पड़ता है। भवनों के मरम्मत कार्य के लिए कई बार संबंधित अधिकारियों को लिखित में शिकायत की जा चुकी है लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है। इटावा के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी अजय कुमार बताते हैं कि वर्ष 2011 में नए विद्यालयों के भवन के लिए धनराशि नहीं मिल सकी है। जर्जर भवनों के स्थानों पर नए भवन बनाए जाएंगे। शासन के आदेश अनुसार इसके लिए प्रस्ताव बनाकर भेजा है।
राशि आते ही निर्माण शुरू हो जाएगा। खेल मैदान भी बनाए जाएंगे। स्वतंत्रता सेनानी परिवार के प्रदेश महासचिव आकाशदीप जैन का कहना है कि बेसिक शिक्षा विभाग के स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को बेहतर और गुणवत्ता परक शिक्षा देने का दावा बेमानी है। होम्योपैथी चिकित्सक डॉआशीष दीक्षित का कहना है कि शिक्षा का मौलिक अधिकार सभी को है। पहले शिक्षा के मंदिरों के भवन को ठीक किया जाने की जरूरत है तभी उन्हें बेहतर और गुणवत्ता परक शिक्षा दे सकते हैं।
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष गोपाल यादव का कहना है कि परिषदीय स्कूलों की ओर ज्यादा ध्यान इसलिए नहीं दिया जाता है कि उनमें गरीब बच्चे पढ़ते हैं शायद यही वजह है कि सर्वे कराने के बाद इतनी ज्यादा संख्या में इतने स्कूल निकलना चिंता का विषय है । कैसे बच्चों की पढ़ाई होती होगी यह सवाल खड़ा जरूर होता हुआ दिख रहा है।