पंजाब में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार जलियांवाला बाग नरसंहार की 100वीं बरसी मनाने की योजना बना रही है। सरकार इसी क्रम में अमृतसर में एक स्मारक भी तैयार कराएगी। खास बात है कि इस स्मारक को सूबे के तकरीबन 13 हजार गांवों की मिट्टी से बनाया जाएगा। सीएम दफ्तर ने इस बाबत एक नोटिस भी जारी किया है। रिपोर्ट्स में उसके हवाले से कहा गया, “ग्रामीण विकास विभाग और पंचायतों को इस काम के लिए नोडल विभाग बनाया गया है। ये गांवों से मिट्टी जुटाने के लिए राज्य भर के गावों की पंचायतों से संपर्क साधेंगे।”
मुख्यमंत्री ने इसके अलावा अमृतसर के डिप्टी कमिश्नर से शहर में स्मारक के लिए नीतिगत स्थान सुझाने के लिए कहा है। साथ ही संस्कृति मामले और पर्यटन विभाग को आर्ट एंड कल्चर हेरिटेज ट्रस्ट के साथ मिलकर स्मारक के संबंध में योजना तैयार करने के निर्देश दिए हैं। बता दें कि ये दोनों विभाग इससे पहले अमृतसर स्थित टाउन हॉल में ‘पार्टीशन म्यूजिम’ को संयुक्त रूप से तैयार करा चुके हैं, जो कि 2017 में शुरू किया गया था।
ताजा अधिसूचना के अनुसार, “सीएम ने प्रिंसिपल सेक्रेट्री (सांस्कृतिक मामले) को सभी संबंधित विभाग से संपर्क साधने के लिए कहा है, ताकि 13 अप्रैल, 2019 को अमृतसर में बड़ा आयोजन सुनिश्चित कराया जा सके। सीएम ने इसके अलावा पर्याप्त सुरक्षा बंदोबस्त के भी निर्देश दिए हैं।”
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मेमोरियल के अलावा सीएम ने स्कूल शिक्षा विभाग से कहा है कि वे अपने पाठ्यक्रम में जलियांवाला बाग पर एक चैप्टर शामिल करें, जिसके जरिए विद्यार्थियों को देश भक्ति और राष्ट्रवाद की भावना से रू-ब-रू कराया जाएगा। यही नहीं, उन्होंने एसीएस हायर एजुकेशन एंड सेक्रेट्री स्कूल एजुकेशन को जलियांवाला बाग नरसंहार के विभिन्न पहलुओं पर सेमिनार, सिम्पोजियम, प्रतियोगिताएं और पैनल डिस्कशन कराने के लिए भी कहा।
क्या था जलियांवाला बाग कांड?: 13 अप्रैल, 1919 को जलियांवाला बाग में तकरीबन 2000 लोग स्वर्ण मंदिर के पास अंग्रेजी हुकूमत का विरोध करने के लिए जुटे थे। बैसाखी के दिन बाग में उस दौरान शांतिपूर्ण जनता में पुरुषों के साथ महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे। अचानक ब्रिगेडियर जनरल रेगिनाल्ड डायर के नेतृत्व में ब्रिटिश जवानों के समूह ने उस भीड़ पर फायरिंग कर दी थी। गोलियों से बचने के चक्कर में कुछ लोग इधर-उधर भागे, जबकि कुछ जान बचाने के लिए वहां कुएं में जा कूदे थे। रिपोर्ट्स के अनुसार, फायरिंग में एक हजार से अधिक लोग की जान चली गई थी, जबकि बाकी गंभीर रूप से जख्मी हुए थे।