रविवार को फिर विदेश यात्रा पर रवाना हो जाएंगी दीदी। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री अब सूबे के विकास के लिए निवेश जुटाने के प्रति काफी संजीदा लग रही हैं। इस मकसद से उनका यह अब तक का सबसे बड़ा दौरा माना जा रहा है। जर्मनी और इटली जाएंगी। उनकी अनुपस्थिति में 11 मंत्रियों का समूह सरकार का कामकाज देखेगा। यह नया प्रयोग है। इससे पहले कभी नहीं अपनाई थी उन्होंने ऐसी कार्यशैली।
हां, विदेशी दौरे के वक्त चुनिंदा वरिष्ठ मंत्रियों को नियमित रूप से सचिवालय में बैठ कर कामकाज की निगरानी के लिए जिम्मा सौंप देती थी। टेलीफोन पर रोजाना रिपोर्ट भी लेती थीं। लेकिन इस बार ग्यारह मंत्रियों के इस समूह की कामकाज में मदद के मकसद से अतिरिक्त सचिव स्तर के कुछ अफसरों की भी दूसरी समिति बना दी है। पहले योजना इटली के साथ फ्रांस के दौरे की बनी थी। लेकिन अब फ्रांस की जगह इटली तय किया है। फैशन और उद्योग का शहर मिलान इटली की शान है। सोलह सितंबर को कोलकाता से सीधे फ्रैंकफर्ट पहुंचेंगी। चार-पांच दिन जर्मनी में गुजारने के बाद मिलान पहुंच जाएंगी। वापस वहीं से 27 सितंबर को रवाना होंगी। यानी अगले दिन कोलकाता पहुंचना तय है।
कुल मिलाकर ग्यारह दिन सूबे से बाहर रहेंगी। जर्मनी के शहर म्यूनिख और इटली के शहर रोम का दौरा पहले भी कर चुकी हैं। फ्रैंकफर्ट में तो उनकी सरकार ने इस बार एक व्यापार सम्मेलन का भी आयोजन किया है। जर्मनी के उद्योगपतियों को अपने सूबे में निवेश के बारे में ठोस प्रस्ताव रखेंगी। मिलान में भी योजना एक उद्योगपति सम्मेलन को संबोधित करने की है। नामचीन चुनिंदा उद्योगपतियों से अलग से मुलाकात भी करेंगी। लेकिन विपक्ष को तो हर हाल में उनकी आलोचना ही करनी है। तभी तो फिर आरोप सरकारी पैसे की बर्बादी का लगा है उन पर। आलोचना बेतुकी है भी नहीं। आखिर इतने विदेशी दौरों के बावजूद अभी तक तो फूटी कौड़ी आई नहीं सूबे में बतौर विदेशी निवेश।