सरकारी नौकरियों में अन्य पिछड़ा वर्गों (ओबीसी) के लिए निर्धारित खाली पड़ी जगह उम्मीदवारों की कमी के चलते नहीं भर पा रही है। इसे देखते हुए सरकार आमदनी की सीमा बढ़ाकर आठ लाख रुपए कर क्रीमी लेयर के मानदंड में ढील देने पर विचार कर रही है। सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में 27 फीसद सीटें ओबीसी के लिए आरक्षित होती हैं। इनमें परिवार की वार्षिक आय छह लाख रुपए से कम होती है। इससे अधिक आय वाले परिवारों को ‘क्रीमी लेयर’ में रखा जाता है। उन्हें आरक्षण नहीं दिया जाता है। आय सीमा बढ़ाने से सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों की सीटों के लिए योग्य उम्मीदवारों की संख्या बढ़ जाएगी।

सूत्रों के मुताबिक सामाजिक न्याय मंत्रालय ओबीसी की वार्षिक आय सीमा बढ़ाकर आठ लाख रुपए करने के प्रस्ताव पर विचार कर रहा है। इस संबंध में जल्द कैबिनेट नोट जारी किया जा सकता है। इस बारे में जब राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) के सदस्य अशोक सैनी से संपर्क किया गया तो जवाब था कि समिति ने तो आय सीमा दोगुने से अधिक बढ़ाकर 15 लाख रुपए सालाना करने की सिफारिश की थी। सैनी के मुताबिक आरक्षण दिए जाने के दो दशक बाद भी देखा गया है कि निर्धारित 27 फीसद आरक्षण में से 12-15 फीसद जगहें ही भर पाती हैं। विश्लेषण के मुताबिक इसके पीछे मुख्य वजह वार्षिक आय की उच्चतम सीमा का निर्धारण है। मंडल आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक 1980 में भारत में 52 फीसद आबादी ओबीसी की थी। आयोग की यह रिपोर्ट 1932 की जनगणना पर आधारित थी। राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन ने 2006 में ओबीसी की जनसंख्या 41 फीसद बताई थी।