दो दो महामहिम एक साथ। एक जाने वाले थे, एक आने वाले थे। एक गए, एक आए!एक की विदाई का दुख, एक के आने का सुख!
शपथ समारोह में ‘भारत माता की जय’ और ‘जय श्रीराम के नारे’ लगे! शपथ समारोह पवित्र हो गया! चैनलों पर भक्त चर्चाकारों ने पानी डाला कि ये नारे तो पहले भी सेंट्रल हॉल में लगते रहे हैं। ऐसा पोचा क्यों मारते हो? महामहिम के शपथ समारोह में तो पहली बार लगे! उसके बाद सब औपचारिक!
दो हजार सत्रह का सबसे बड़ा सबक है कि एक चैनल ऐसा भी दिखता है, जो अगर किसी नेता के पीछे पड़ जाए तो वह एक मोर्चे की सरकार को गिरा और दूसरे मोर्चे की सरकार बनवा सकता है!
ऐसे ही एक अंग्रेजी चैनल ने महीने भर एक नेता के कथित भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान चलाया! नतीजतन, सर्वत्र लाज बरसने लगी। लाज आई तो बेलाज हुए। बेलाज हुए तो फिर लाज आई।
समूचे प्रकरण पर लालू बोले: डील था। राहुल बोले: डील था। दर्शकों के लिए तो सब कुछ ही डील है और व्यंग्य में लाइन मारी: तेजस्वी तो बहाना था, इनको तो भाजपा की गोद में जाना था!
वृहस्पतिवार का दिन पांच-पांच प्रेस कॉनफ्रेंस दर प्रेस कॉनफ्रेंस! नीतीश की, लालू की, नीतीश की, लालू की फिर लालू की, फिर कांग्रेस की, फिर कांग्रेस की। भाजपा से डील बरक्स बिहार की खातिर कुछ भी करूंगा! भाजपा खुश! चेहरे चमक गए! शपथ के बाद नीतीश के मुकाबले उपमुख्यमंत्री सुशील मोदीजी ज्यादा खुश नजर आए!
चैनलों की मानें तो सिर्फ दो ट्वीटों ने बिहार ‘जीत लिया’ और वह विकास की तेज गति पर दौड़ पड़ा।
बेशर्म चर्चाएं बेशर्मी में फंसी रहीं। पंद्रह घंटे पहले तक रहा सेकुलर, पंद्रह घंटे बाद कम्युनल! नीतीश ने धोखा दिया, धोखा दिया! लालू बोलते रहे! कुछ चैनल फिर भी लालू के पीछे पड़े रहे!
बिहार के ‘मोर्चा उखाड़’ को लेकर हर चैनल प्रसन्न लाइन देता था कि यह घर वापसी है… यह घर वापसी है। हिंदी चैनल घर वापसी लिखते तो लिखते, अंग्रेजी चैनल भी हिंदी से उधार लेकर लिखने लगे कि यह घर वापसी है! चैनलों को चैन मिला कि भ्रष्टाचार विरोधी जिस अभियान में हर रोज दो-चार घंटे दिया करते थे अब कामयाब हुए हैं! घर वापसी के बाद ही भ्रष्टाचार मिट सकता है!
देसी अंग्रेजों को भी रोमन में हिंदी लिखनी पड़ती है। अच्छी बात है। न्यूज एक्स ने लिखा: स्वच्छ मोदी बराबर सबकी सफाई! स्कैम मुक्त भारत! लालची लालू क्लीन आउट!
स्वच्छता की विराट वाशिंग मशीन चल रही है। एक से एक साफ सफेद क्रीज्ड कुर्ते निकल आते हैं और वे खुद अपने को बेदाग ठहराने लगते हैं!
एक विज्ञापन कभी कहा करता था: दाग अच्छे हैं! लगता है कि पिछले दिनों वह भी धो दिया गया है!
धुलाई जारी है!
एक चैनल दस साल का सबसे बड़ा भंडाफोड़ कर रहा है, तो दूसरा भी दस साल का सबसे बड़ा भंडाफोड़ करने में लगा है। एक चैनल का एंकर लाल कालीन बिछी सीढ़ियों से उतरता हुआ आपके सामने आकर दस साल का सबसे बढ़िया भंडाफोड़ दिखाता है और कहता है कि ये सबको हिला देगा, तो दूसरा कहता है कि अपना भंडाफोड़ कांग्रेस को और राहुल को हिला देगा! सभी हिलने लगते हैं।
एक चैनल आतंकवादियों की ‘दशक की स्वीकारोक्तियां’ लेकर आया है। दहशतगर्दों के टेप दिखा रहा है, जिसमें टेररिस्ट कह रहा है कि हम आडवाणी को नहीं मार पाए! एंकर तुरंत लाइन देता है कि यूपीए ने कर्तव्य निर्वहन में चूक की है! इनको छोड़ दिया!जवाब दे यूपीए!
यह है नई क्रांतिकारी पत्रकारिता, जो सत्ता से सवाल पूछने की जगह हर सवाल विपक्ष से पूछती है! कभी यह भी बता दो भइए कि ऐसे नायाब टेप किससे मिले? कैसे मिले?
दूसरा अंग्रेजी चैनल बोफर्स की पुरानी कहानी को नए जोश से पेश करता है कि यह है दस साल का सबसे बड़ा भंडाफोड़! पकड़ में मगर कुछ नहीं आता! हां, सत्ता के मुकाबले विपक्ष से सवाल करना ही सबसे सुरक्षित काम है!
दो दो चैनलों का चैनल गान है: नेशन वांट्स टू नो! नेशन वांट्स टू नो! ‘नेशन’ की जगह बैठता है सूट टाई वाला एक मामूली-सा एंकर, जिसे अगर चैनल का मालिक निकाल दे तो यही ‘नेशन’ पता नहीं कहां हो! ‘नेशन’ ने अपने नाम का लाइसेंस आपको कब दे दिया सर जी? अपने वीर एंकर कुछ भी हो सकते हैं।
लेकिन मैं अपने रिटायर्ड वीरों पर कुर्बान हूं। कैसी धज है! कैसी वीर मुद्रा है कि दुश्मन कांपते हैं। दिशाएं हिलती हैं। ये जेएनयू वाले न जाने कब समझेंगे कि पाला असली वीरों से पड़ा है!
रिटायर्ड वीरों का वश चले तो जेएनयू में गोले वाला टैंक ही लगवा दें! वह तो भला हो वीसी साहब का कि सिर्फ खाली टैंक लगाने की बात सोची! टैंक लगेगा तो सैनिकों की कुर्बानियों के प्रति आदर पैदा होगा! देशभक्ति की डोज मिलती रहेगी और जेएनयू कैंपस में देशभक्ति और राष्ट्रवाद का जज्बा आ के रहेगा! टैंक प्रेम लाना है, देश को बचाना है!
अगर हमारे देशभक्त एंकर न हों, तो हम क्रिकेट में कायदे से हार भी न पाएं: महिला क्रिकेट टीम फाइनल में पहुंची, तो सब चैनल जीतने के लिए बौराए रहे! सब ‘चक दे इंडिया गाते’ रहे। ‘लगान वसूल’ करवाते रहे। कोई मिथाली के घरवालों से पूछ रहा था कि क्या तनाव में हैं आप? सुबह बात हुई होगी तो क्या वह तनाव में थी?
पहले पूछा करते थे कि आपको कैसा लग रहा है? अब पूछते हैं क्या आप तनाव में हैं? ऐसा पूछ कर एंकर अपने तनाव को हल्का करते हैं!
मद्रास हाईकोर्ट ने एक सुनवाई के बाद सप्ताह में एक दिन स्कूलों-कॉलेजों में ‘वंदे मातरम्’ गाने की बात कह कर देशभक्ति की नई व्यवस्था कर दी। देखादेखी महाराष्ट्र भाजपा के एक नेताजी का दिल देशभक्ति की भावना से भर कर बोल उठा कि महाराष्ट्र में भी वंदे मातरम् गाना जरूरी किया जाय!
सावधान सरजी! अब भी बोल दो वंदे मातरम्, नहीं तो कल को कोई जेएनयू की तरह टैंक लगा देगा, क्या तब बोलोगे वंदेमातरम्?
बाखबरः टैंक प्रेम लाना
बिहार के ‘मोर्चा उखाड़’ को लेकर हर चैनल प्रसन्न लाइन देता था कि यह घर वापसी है... यह घर वापसी है। हिंदी चैनल घर वापसी लिखते तो लिखते, अंग्रेजी चैनल भी हिंदी से उधार लेकर लिखने लगे कि यह घर वापसी है!
Written by सुधीश पचौरी

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First published on: 30-07-2017 at 02:38 IST