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वाराणसी, काशी या बनारस… यह सिर्फ एक शहर नहीं बल्कि मोक्षधाम है। यहां की हर गली, हर घाट और हर देवालय अपने भीतर हजारों सालों की आस्था और रहस्य को समेटे हुए है। इन्हीं में से एक अद्वितीय स्थल है पिशाच मोचन कुंड। (Photo Source: varanasiguru)
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मान्यता है कि यहां किए गए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान से न केवल पितरों की आत्मा को शांति मिलती है बल्कि आने वाली पीढ़ियां भी पितृदोष से मुक्त हो जाती हैं। (Photo Source: varanasiguru)
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त्रिपिंडी श्राद्ध और पिंडदान का पावन स्थल
पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, पिशाच मोचन कुंड त्रिपिंडी श्राद्ध, नारायणबली और पिंडदान का सबसे पवित्र स्थान माना गया है। यहां ब्राह्मण भोज कराने का महत्व भी अद्भुत है। कहा जाता है कि काशी में एक ब्राह्मण को भोजन कराने का फल, अन्यत्र एक करोड़ संन्यासियों को भोजन कराने के बराबर है। (Photo Source: varanasiguru) -
कपर्दीश्वर महादेव शिवलिंग और मुक्ति का आशीर्वाद
स्कंदपुराण में उल्लेख है कि पिशाच मोचन स्थल पर विराजमान कपर्दीश्वर महादेव शिवलिंग स्वयं भगवान शिव के मुक्ति लिंगों में से एक है। इस शिवलिंग का स्पर्श करना, भगवान शंकर के चरणों का साक्षात् स्पर्श करने के समान माना गया है। यही कारण है कि यहां दर्शन करने से पितरों को मुक्ति और साधक को मोक्ष का आशीर्वाद मिलता है। (Photo Source: varanasiguru) -
तस्वीरें और वृक्ष की रहस्यमयी परंपरा
कहा जाता है कि जिन आत्माओं को मृत्यु के बाद पितृयोनि या मुक्ति नहीं मिल पाती, उनकी तस्वीरें इस स्थान पर एक विशेष वृक्ष में कीलों और कांटों से ठोंककर लगाए जाते हैं। या फिर उनके किसी न किसी प्रतीक चिह्न या सिक्के को भी लगाया जाता है। इस पेड़ के मोटे तने से लेकर शाखाओं तक, सिक्कों और कीलों का ढेर लगा है। (Photo Source: varanasiguru) -
पेड़ में ठोके गए ये अनगिनत सिक्के और कीलें किसी अतृप्त आत्मा का निवास स्थान हैं। यह परंपरा आत्मा को बंधन से मुक्त कर उन्हें सही दिशा में अग्रसर करने के लिए की जाती है। यह दृश्य आज भी वहां आने वाले श्रद्धालुओं को आत्मा और कर्म के गहरे रहस्य का एहसास कराता है। (Photo Source: varanasiguru)
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स्नान और अनुष्ठानों की महिमा
श्राद्ध और तर्पण से पहले श्रद्धालु यहां स्थित कुंड में स्नान करते हैं। यह विश्वास है कि इस जल से स्नान करने से अदृश्य पाप और नकारात्मक ऊर्जा धुल जाती है, जिससे न केवल पितरों की आत्माएं बल्कि स्वयं साधक भी शुद्ध होकर दिव्य कर्म के लिए तैयार होते हैं। (Photo Source: varanasiguru) -
स्कंदपुराण में वर्णित महत्व
इस स्थल को ‘विमलो दक्तिर’ कहा गया है। यहां दर्शन करने वाले की आने वाली 10 पीढ़ियां पितृदोष से मुक्त हो जाती हैं। यही वह स्थान है जहां भगवान महागणपति और काल भैरव के बीच युद्ध हुआ था। यहां एक ब्राह्मण को भोजन कराना अन्यत्र पांच करोड़ संन्यासियों को भोजन कराने के समान पुण्यदायी है। (Photo Source: varanasiguru) -
पितृपक्ष का विशेष महत्व
हर वर्ष पितृपक्ष में देशभर से श्रद्धालु अपने पूर्वजों के श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान के लिए काशी पहुंचते हैं। यह माना जाता है कि पिशाच मोचन कुंड में किए गए कर्मकांड से पितरों की आत्मा को अनंत शांति मिलती है और उनके वंशजों के जीवन से समस्त पितृदोष समाप्त हो जाते हैं। (Photo Source: varanasiguru)
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