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भगवान गणेश को बुद्धि, ज्ञान और समृद्धि का देवता माना जाता है। पूरे देश में बड़े ही धूमधाम से गणेश चतुर्थी मनाई जाती है। इस मौके पर भगवान गणेश की पूजा अर्चना की जाती है। पुराणों के अनुसार गणेश चतुर्थी के दिन ही भगवान गणेश का जन्म हुआ था। (Photo: Pexels)
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भगवान गणेश को बुद्धि का देवता कहा जाता है। उन्हें पहला स्टेनोग्राफर का भी दर्जा दिया जाता है। आइए जानते हैं उनसे जुड़े कुछ रोचक किस्सों के बारे में: (Photo: Pexels)
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पौराणिक कथाओं के अनुसार महर्षि वेदव्यास एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने पूरी महाभारत देखी थी और सभी पात्रों को भली-भांति जानते थे जिसके चलते ब्रह्मा जी ने उन्हें महाभारत महाकाव्य की रचना के लिए चुना। (Photo: Meta AI)
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महर्षि वेदव्यास को ऐसे व्यक्ति की तलाश थी जो महाभारत जैसे जटिल महाकाव्य की श्रुतलेख कर सके। यानी सुनकर लिख सके। जब उन्हें ऐसा कोई नहीं मिला तो वो ब्रह्माजी के पास गए। ब्रह्माजी ने भगवान गणेश का नाम सुझाया। क्योंकि, भगवान गणेश की लिखावट तेज और सुंदर थी। साथ ही वो बुद्धिमान भी थे। (Photo: Pexels)
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पौराणिक कथाओं के अनुसार महर्षि वेदव्यास भगवान गणेश के पास महाभारत की रचना का प्रस्ताव लेकर जिसे उन्होंने मान लिया। लेकिन भगवान गणेश ने महर्षि वेदव्यास के सामने एक शर्त रख दी। (Photo: Pexels)
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भगवान गणेश ने महर्षि वेदव्यास के सामने शर्त रखी कि वह महाकाव्य तभी लिखेंगे जब व्यास जी उन्हें बिना रुके पूरी कहानी सुनाएंगे, अगर वह बीच में रुक गए तो वह वहीं पर लिखना छोड़ देंगे। व्यास जी ने उनकी ये शर्त मान ली। व्यास जी भी ने एक शर्त रखी कि वो बोलना बंद नहीं करेंगे और वो जो भी बोलेंगे उसे समझ कर लिखना होगा। गणेश जी ने भी उनकी ये शर्त मान ली। (Photo: Pexels)
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महाभारत महाकाव्य लिखने के दौरान गणेश जी की कलम टूट गई। अब शर्त के अनुसार उन्हें रुकना नहीं था। ऐसे में गजानन ने अपना एक दांत खुद ही तोड़कर उसे कलम बना लिया जिसके बाद वह एकदंत कहलाए। (Photo: Meta AI)
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पौराणिक कथाओं के अनुसार महाभारत काव्य की रचना कई महीनों तक चलती रही। ऋषि व्यास बिना रुके लगातार बोलते रहे। गणेश जी बिना रुके लगातार लिखते गए। यही वजह है कि उन्हें दुनिया का पहला स्टेनोग्राफर माना जाता है। (Photo: Pexels)
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एकदंत नाम के पीछे एक और कहानी
पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार परशुराम भगवान शिव से मिलने के लिए कैलाश पर्वत पहुंचे तो द्वार पर खड़े गणेश भगवान ने उन्हें वहीं पर रोक दिया। काफी विनती के बाद भी परशुराम को अंदर नहीं जाने दिया। इसके बाद दोनों में युद्ध हुआ। इस युद्ध में परशुराम के फरसे से हुए वार में भगवान गणेश का एक दांत टूट गया जिसके बाद वो एकदंत कहलाए। (Photo: Pexels) गणेश चतुर्थी: गणेश भगवान के दस सबसे प्रसिद्ध मंदिर, भारत ही नहीं इन देशों में भी विराजमान हैं गणपति बप्पा
