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भारतीय परंपरा में महिलाओं के श्रृंगार का एक अहम हिस्सा है चूड़ियां। शादीशुदा हों या अविवाहित, महिलाएं अपनी सुंदरता और आकर्षण बढ़ाने के लिए चूड़ियां पहनती हैं। आज भले ही चूड़ियों को फैशन स्टेटमेंट मान लिया गया हो, लेकिन इनके पीछे गहरे ऐतिहासिक, धार्मिक और वैज्ञानिक कारण छिपे हैं। आइए जानते हैं—
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ऐतिहासिक महत्व
चूड़ियों का इतिहास बेहद पुराना है। मोहनजोदड़ो से मिली कांस्य नर्तकी की मूर्ति (Bronze Dancing Girl) इसका प्रमाण है, जिसके हाथों में चूड़ियां साफ दिखाई देती हैं। इससे स्पष्ट होता है कि हजारों साल पहले भी महिलाएं चूड़ियां पहनती थीं। (Photo Source: National Museum (New Delhi, India)) -
उस समय चूड़ियां पत्थर, शंख, मिट्टी, धातु, कांच और सोने-चांदी से बनाई जाती थीं। यही नहीं, प्राचीन काल में देवी-देवियों की मूर्तियों, यक्षिणियों और यहां तक कि कादंबरी ग्रंथ में भी चूड़ियों का उल्लेख मिलता है। बनभट्ट की ‘कादंबरी’ में मां सरस्वती को कंगन पहने हुए दिखाया गया है। (Photo Source: Pexels)
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धार्मिक महत्व
सुहाग का प्रतीक – हिंदू संस्कृति में विवाहित महिलाओं के लिए चूड़ियां सुहाग का प्रतीक मानी जाती हैं। विवाहित महिलाएं कांच और सोने की चूड़ियां पहनती हैं। इसे पति और संतान के मंगल की कामना से जोड़ा जाता है। (Photo Source: Pexels) -
खाली हाथ अशुभ – भारतीय मान्यता के अनुसार महिलाओं के हाथ खाली नहीं रहने चाहिए। चूड़ियां न पहनना अशुभ और नकारात्मक ऊर्जा को आमंत्रित करना माना जाता है। (Photo Source: Pexels)
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शुभ कार्यों में महत्व – शादी, त्योहार या धार्मिक अनुष्ठानों में चूड़ियां पहनना अनिवार्य माना जाता है। (Photo Source: Pexels)
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गर्भवती महिला और चूड़ियां – प्रेग्नेंसी के सातवें महीने में महिला को चूड़ियां पहनाई जाती हैं। माना जाता है कि चूड़ियों की छनकती आवाज गर्भस्थ शिशु के मस्तिष्क के विकास में सहायक होती है और मां को भी मानसिक शांति देती है। (Photo Source: Pexels)
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वैज्ञानिक कारण
रक्त संचार में वृद्धि
प्राचीन काल में पुरुष जंगलों और खेतों में काम करते थे। हालांकि महिलाएं घरेलू काम करती थीं, लेकिन वे कठिन श्रम नहीं थे। मांसपेशियों के कम काम और कम शारीरिक गतिविधि के कारण, इससे उनका रक्तचाप बढ़ सकता था। वहीं, जब महिलाएं चूड़ियां पहनती हैं, तो उनकी कलाइयों पर चूड़ियों की निरंतर हलचल और घर्षण से रक्त संचार बेहतर होता है। इससे महिलाओं में उच्च रक्तचाप, चिड़चिड़ापन और तनाव कम होता है। (Photo Source: Pexels) -
ऊर्जा का संरक्षण – चूड़ियां गोल आकार की होती हैं। शरीर से निकलने वाली ऊर्जा इन्हीं में घूमकर वापस शरीर में आ जाती है। इससे शरीर की जीवनी शक्ति (Vital Energy) बनी रहती है। (Photo Source: Pexels)
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ध्वनि तरंगों का प्रभाव – कांच की चूड़ियों की खनक सकारात्मक कंपन पैदा करती है, जो वातावरण को शुद्ध करने और महिला को नकारात्मक ऊर्जा से बचाने में मदद करती है। (Photo Source: Pexels)
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मानसिक संतुलन – रिसर्च के अनुसार, कांच की चूड़ियां पहनने वाली महिलाएं भावनात्मक रूप से अधिक संतुलित पाई गईं, जबकि प्लास्टिक या सिंथेटिक चूड़ियां पहनने वालों में चिड़चिड़ापन और बेचैनी देखी गई। (Photo Source: Pexels)
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गर्भवती महिला और गर्भस्थ शिशु पर प्रभाव – चूड़ियों की मीठी झंकार गर्भस्थ शिशु के मस्तिष्क के विकास और सुनने की क्षमता को बेहतर बनाती है। (Photo Source: Pexels)
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