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हिंदी धर्म में कई ऐसे रिती रिवाज हैं जिसे लोग सदियों से निभाते चले आ रहे हैं। इसी में से एक है मंदिर या फिर किसी पवित्र पेड़ के चारों ओर परिक्रमा करना। मंदिरों, पेड़ों या फिर पवित्र वस्तुओं के चारों ओर घूमने की परंपरा काफी पुरानी है। इसे प्रदक्षिणा कहते हैं। आइए जानते हैं ऐसा क्यों किया जाता है और इसका क्या महत्व है? (Photo: Indian Express) शाम के वक्त घर में क्यों जलाया जाता है कपूर का तेल और लौंग
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यह सिर्फ हिंदू धर्म में नहीं बल्कि बौद्ध धर्म, जैन धर्म और सिख धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। प्रदक्षिणा का अर्थ है किसी देवता, मंदिर या पवित्र स्थान के चारों ओर दाएं हाथ की ओर (घड़ी की दिशा में) घूमना। इसे सम्मान और भक्ति का प्रतीक माना जाता है। (Photo: Indian Express)
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क्या है प्रदक्षिणा?
सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि प्रदक्षिणा क्या है। यह संस्कृत का शब्द है जिसका अर्थ होता है ‘दाएं ओर रखना’। यानी जब हम किसी पवित्र वस्तु या देवता के चारों ओर घूमते हैं तो उसे हमेशा अपने दाएं हाथ की तरफ रखते हैं। यह हमेशा घड़ी की दिशा में किया जाता है, जिसे शुभ माना जाता है। इस दौरान मंत्रों का जाप या फिर प्रार्थना करते हैं। (Photo: Indian Express) -
घड़ी की दिशा में घूमने का महत्व
सूर्य, चंद्रमा और ग्रह ये सभी आकाश में घड़ी की दिशा में ही चलते हैं। यही वजह है कि प्रदक्षिणा भी उसी दिशा में की जाती है ताकि हमारा शरीर और मन ब्रह्मांड की गति और प्राकृतिक नियमों से जुड़ सके। इसे शुभ ऊर्जा, शांति और समृद्धि को आकर्षित करने का प्रतीक माना जाता है। (Photo: Pexels) किसी शुभ काम से पहले नारियल क्यों तोड़ते हैं? जानें क्या है महत्व -
भगवान का दाईं तरफ होना
ज्यादातर धर्मों में दायां भाग पवित्र और शुभ माना जाता है। प्रदक्षिणा करते समय भी यह ध्यान रखना जरूरी होता है कि जिस मंदिर, वृक्ष या फिर भगवान की परिक्रमा कर रहे हैं वह हमारे दाएं हाथ की ओर रहे। मान्यताओं के अनुसार ऐसा करना भगवान का मार्गदर्शन और सुरक्षा का प्रतीक माना जाता है। (Photo: Freepik) -
आध्यात्मिक और मानसिक लाभ
प्रदक्षिणा का मानसिक और आध्यात्मिक तौर से भी काफी खास महत्व है। दरअसल, गोलाकार और घड़ी की दिशा में चलने से मन शांत होता है और शरीर में ध्यान की ऊर्जा उत्पन्न होती है। यह जीवन के चक्र- जन्म, मृत्यु और पुनर्जन्म को भी दर्शाता है। इससे आत्म-जागरूकता और आध्यात्मिक चेतना बढ़ती है। (Photo: Freepik) -
ब्रह्मांड से जुड़ने का माध्यम
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार परिक्रमा यानी प्रदक्षिणा आध्यात्मिक संबंध को मजबूत करता है। साथ ही इसे भक्तों को ईश्वर, ब्रह्मांड और एक-दूसरे से जोड़ने का माध्यम माना जाता है। (Photo: Freepik) स्वाहा क्यों बोला जाता है? क्या इसके बिना अधूरी होती है पूजा, जानें क्या है महत्व