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गोवर्धन पूजा, दीपावली के अगले दिन मनाया जाने वाला एक अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण पर्व है। यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत की पूजा की स्मृति में मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जब इंद्रदेव के क्रोध से ब्रजवासियों को बचाने के लिए भगवान कृष्ण ने अपनी छोटी अंगुली पर गोवर्धन पर्वत को उठा लिया था, तब से यह परंपरा चली आ रही है। (Photo Source: Freepik)
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इस दिन भक्तजन भगवान कृष्ण और गिरिराज गोवर्धन की पूजा कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। गोवर्धन पूजा के दौरान विशेष रूप से भगवान को 56 भोग अर्पित करने की परंपरा है। ये भोग उनके प्रिय व्यंजन, मिठाई, फल, अनाज और विविध पकवानों से तैयार किए जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि श्रद्धा और भक्ति भाव से 56 भोग अर्पित करने पर भगवान कृष्ण अत्यंत प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों पर कृपा बरसाते हैं। (Photo Source: Pinterest)
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छप्पन भोग की कथा
56 भोग अर्पित करने की परंपरा भगवान कृष्ण के ब्रज जीवन से जुड़ी हुई है। कथा के अनुसार, इंद्रदेव ने क्रोधित होकर ब्रज पर मूसलधार वर्षा करनी शुरू कर दी थी। तब भगवान कृष्ण ने अपने भक्तों और गौवंश की रक्षा के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी अंगुली पर उठा लिया। वे सात दिनों तक पर्वत को थामे रहे, बिना अन्न-जल ग्रहण किए, ताकि ब्रजवासी और गौवंश सुरक्षित रहें। (Photo Source: Unsplash) -
सातवें दिन जब वर्षा रुकी और संकट समाप्त हुआ, तब माता यशोदा और ब्रजवासी यह जानकर बहुत चिंतित हुए कि उनके नन्हे कृष्ण ने सात दिनों तक कुछ नहीं खाया। इस कृतज्ञता और प्रेम के भाव से ब्रजवासियों ने सात दिनों के आठ पहरों के अनुसार कुल 56 व्यंजन तैयार किए। तभी से यह परंपरा ‘छप्पन भोग’ के रूप में स्थापित हुई। (Photo Source: Unsplash)
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छप्पन भोग का आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व
छप्पन भोग केवल धार्मिक विश्वास तक सीमित नहीं है। यह भारतीय संस्कृति में भोजन की विविधता, संतुलन और आयुर्वेदिक ज्ञान का प्रतीक भी है। भगवान कृष्ण को अर्पित किए जाने वाले 56 व्यंजनों में संसार के छह प्रमुख रस — मीठा, खट्टा, नमकीन, अम्लीय, कड़वा और कसैला — शामिल होते हैं। ये रस न केवल स्वाद की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि आयुर्वेद के अनुसार शरीर और मन को संतुलित करने में भी सहायक हैं। (Photo Source: Unsplash) -
छप्पन भोग के माध्यम से भक्त अपने प्रेम, भक्ति और आदर का भाव व्यक्त करते हैं। यह पूजा हमें यह भी सिखाती है कि भोजन केवल पेट भरने का साधन नहीं, बल्कि ईश्वर के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का एक तरीका है। (Photo Source: Unsplash)
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छप्पन भोग में शामिल प्रमुख व्यंजन
छप्पन भोग में मिठाई, फल, नमकीन, सब्ज़ी, दाल, चावल, रोटी और पेय सभी शामिल होते हैं। इनमें कुछ प्रमुख व्यंजन हैं:
मिठाई: माखन-मिश्री, खीर, पंजीरी, रसगुल्ला, रबड़ी, मूंग दाल का हलवा, जलेबी, मालपुआ, घेवर, मोहनभोग, पेड़ा, काजू-बादाम बर्फी, पिस्ता बर्फी, पंचामृत।
नमकीन और खट्टे व्यंजन: मठरी, शक्करपारा, पकोड़े, चटनी, कचौरी, खिचड़ी, कढ़ी, चीला, दाल, सब्ज़ियां (लौकी, बैंगन), साग, चावल, पूरी, रोटी, पापड़, भुजिया, जीरा लड्डू।
फल: आम, केला, अंगूर, सेब, किशमिश, आलूबुखारा।
पेय: नारियल पानी, छाछ, शिकंजी, बादाम का दूध, शहद।
अन्य सामग्री: सफेद मक्खन, ताजी क्रीम, दलिया, टिक्की, चना, सुपारी, सौंफ, पान, मुरब्बा, चावल, इलायची, घी। (Photo Source: Pinterest) -
गोवर्धन पूजा की तैयारी और विधि
आंगन या मुख्य द्वार पर गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाएं। पर्वत के बीच में कृष्ण जी की आकृति बनाएं जो पर्वत धारण किए हुए हों। उनके सामने रोली, चावल, बताशे और जल अर्पित करें। दूध, पान, केसर, पुष्प आदि क्रमशः अर्पित करें। (Photo Source: Pinterest) -
दीपक जलाएं और ध्यान करें। सभी 56 व्यंजन स्नेह और श्रद्धा से अर्पित करें। नंदी और गौमाता की पूजा करें। उनके चरणों में हल्दी से तिलक लगाएं। हरी घास और गुड़ गायों व बछड़ों को अर्पित करें। अंत में भगवान कृष्ण की आरती करें और पूजा संपन्न करें। (Photo Source: Unsplash)
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