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हिंदू संस्कृति में स्वास्तिक को सबसे पवित्र और शुभ प्रतीकों में से एक माना गया है। यह समृद्धि, सौभाग्य, सकारात्मक ऊर्जा और नए आरंभ का सूचक है। किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत, पूजा, व्रत या त्योहारों पर स्वास्तिक बनाने की परंपरा बहुत पुरानी है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुछ ऐसे स्थान और परिस्थितियां भी हैं, जहां स्वास्तिक बनाना अशुभ माना जाता है? (Photo Source: Unsplash)
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मान्यता है कि इन जगहों पर स्वास्तिक बनाने से शुभ ऊर्जा बाधित होती है और कामों में रुकावटें आ सकती हैं। आइए जानते हैं वे स्थान और परिस्थितियां जहां स्वास्तिक बनाना वर्जित माना गया है—
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श्मशान भूमि या अंतिम संस्कार से जुड़ी जगहों पर
स्वास्तिक जीवन, शुभारंभ और ऊर्जा का प्रतीक है। वहीं मृत्यु अंत और विराम का संकेत है। इसी कारण श्मशान घाट, अंतिम संस्कार स्थल या मृत्यु-संबंधी स्थानों पर स्वास्तिक बनाना वर्जित माना गया है। यह विरोधाभास अशुभता और नकारात्मक ऊर्जा का कारण बनता है। (Photo Source: Unsplash) -
जूते-चप्पल रखने वाली जगहों के पास
जहां जूते-चप्पल उतारे जाते हैं, पैर रखे जाते हैं या चलने-फिरने की भीड़ रहती है, वहां स्वास्तिक बनाने की सख्त मनाही है। कारण है— स्वास्तिक एक पवित्र और सम्मानित प्रतीक है। इसके पास या ऊपर पैर रखना अपवित्रता और अनादर माना जाता है। इसलिए घर के प्रवेश द्वार के नीचे, जूता रैक के पास या फर्श पर स्वास्तिक नहीं बनाना चाहिए। (Photo Source: Unsplash) -
टॉयलेट, बाथरूम या गंदे स्थानों के आसपास
टॉयलेट के दरवाजे पर, उसके भीतर, नालियों के पास या ऐसे स्थानों पर जहां गंदगी हो, वहां स्वास्तिक बनाना अशुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि ऐसा करने से स्वास्तिक की पवित्र ऊर्जा का अपमान होता है और नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। (Photo Source: Unsplash) -
घर में मृत्यु या गंभीर रोग के समय
जब घर में किसी की मृत्यु हो, कोई गंभीर बीमारी चल रही हो, कोई बड़ी आपत्ति या संकट हो, तो स्वास्तिक बनाने से बचना चाहिए। मान्यता है कि ऐसे समय स्वास्तिक बनाने से शुभ ऊर्जा सक्रिय नहीं होती और वातावरण का संतुलन बिगड़ जाता है। (Photo Source: Unsplash) -
श्राद्ध, पितृ कर्म या तर्पण के दौरान
श्राद्ध, पिंडदान या पितरों से जुड़े कर्मकांडों में स्वास्तिक नहीं बनाया जाता। क्योंकि ये सभी कार्य मृत्यु, पितृ तिथि और स्मरण से जुड़े होते हैं, जबकि स्वास्तिक नए आरंभ और जीवन का प्रतीक है। इन दोनों का मिलना धार्मिक रूप से उचित नहीं माना जाता। (Photo Source: Unsplash) -
व्रत-नियमों के उल्लंघन के समय
अगर घर में किसी ने धार्मिक नियमों का उल्लंघन किया हो, किसी पूजा-विधि में त्रुटि हुई हो या व्रत-नियम टूट गया हो, तो स्वास्तिक बनाने की मनाही है। कहते हैं कि ऐसे समय तक प्रतीक की पवित्रता नहीं रहती। (Photo Source: Unsplash) -
तो फिर स्वास्तिक कहां बनाना शुभ है?
स्वास्तिक बनाने के कुछ अत्यंत शुभ स्थान हैं, जैसे— मंदिर और घर के पूजा स्थान में, मुख्य द्वार के किनारों पर, तिजोरी या कैश बॉक्स पर, नए वाहन या नई चीज की खरीद पर, गृहप्रवेश, विवाह, जन्म के अवसर पर, पूजा थाली या हवन कुंड पर। इन स्थानों पर स्वास्तिक बनाने से सौभाग्य, सुख और सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है। (Photo Source: Unsplash)
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