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दुनिया के कई देश ऐसे हैं जहां की अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा टूरिज्म से आता है। मालदीव, स्पेन, इटली, सऊदी अरब जैसे कई और देश हैं जो टूरिज्म के भरोसे हैं। (Photo: Pexels)
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घूमने वालों के भी अलग-अलग शौक होते हैं। किसी को बीच पर जाना पसंद होता है तो कोई सुकून और प्रकृति के बीच रहने के लिए हिल स्टेशन जाता है। (Photo: Pexels)
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वहीं, काफी लोग ऐसे भी हैं जो सोलो ट्रेवलिंग करना भी पसंद करते हैं। लेकिन आजकल डार्क टूरिज्म का क्रेज तेजी से बढ़ रहा है। आइए जानते हैं क्या है ये? (Photo: Pexels)
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एक रिपोर्ट की मानें तो पिछले कुछ सालों में लोगों को डार्क टूरिज्म का खुमार तेजी से चढ़ा है। खासकर अमेरिकी खूबसूरत वादियों और बीच जैसी जगहों को छोड़कर ऐसी जगहों पर जा रहे हैं जहां डार्क टूरिज्म का लुफ्त उठा सकें। (Photo: Pexels)
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क्या है डार्क टूरिज्म
डार्क टूरिज्म का मतलब होता है जहां की चीजें अस्त-व्यस्त हों या फिर खंडहर भी कह सकते हैं। लोग ऐसी जगहों पर जाना पसंद करते हैं जहां पर त्रासदी के निशान मौजूद हों। (Photo: Pexels) -
डार्क टूरिज्म के लोग वार जोन, डिजास्टर एरिया, पुरानी बिल्डिंग, किले और ऐसे साइट्स को देखते हैं जो अब पूरी तरह से खंडहर बन चुके हैं। (Photo: Pexels)
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इन जगहों लोग युद्ध की निशान, बड़ी आपदा, दुख और नरसंहार की कहानी को देखना पसंद करते हैं। डार्क टूरिज्म वाले टूरिस्टों को खंडहरों के बीच रहना और उनकी तस्वीरें लेना पसंद आता है। (Photo: Pexels)
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अमेरिका की तो लगभग 80 फीसदी लोगों को लाइफ में एक बार डार्क टूरिज्म का आनंद जरूर उठाते हैं। (Photo: Pexels)
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डार्क टूरिज्म वाली जगहें
दुनिया में जो डार्क टूरिज्म के लिए लोगों को जो जगह पसंद हैं उसमें जापान का हिरोशिमा, कंबोडिया में तुओल स्लेंग नरसंहार संग्रहालय, यूक्रेन में चेरनोबिल, न्यूयॉर्क में ग्राउंड जीरे, रवांडा में मुरांबी नरसंहार स्मारक, पोलैंड में ऑशविट्ज एकाग्रता शिविर और लिथुआनिया का केबीज मुख्यालय शामिल है। (Photo: Pexels) दुनिया के इन 10 शहरों में घूमने के लिए नहीं खर्च करने पड़ते ज्यादा पैसे, टॉप पर इंडिया का ये शहर
