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यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए मार्गदर्शन हमेशा अहम होता है। इस दिशा में दृष्टि आईएएस के संस्थापक और लोकप्रिय कोच डॉ. विकास दिव्यकीर्ति ने बिहार के छात्रों को लेकर अपनी महत्वपूर्ण राय शेयर की है। (Photo Source: @divyakirti.vikas/instagram)
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डॉ. विकास दिव्यकीर्ति यूपीएससी कोचिंग के दुनिया के सबसे जाने-माने और प्रभावशाली शिक्षकों में से एक हैं। उनके छोटे-छोटे मोटिवेशनल वीडियोज़ इंटरनेट पर वायरल होते रहते हैं। उनका सेंस ऑफ़ ह्यूमर और किसी भी पेचीदा विषय को सरलता से समझाने का अंदाज उन्हें छात्रों के बीच बेहद लोकप्रिय बनाता है। (Photo Source: @divyakirti.vikas/instagram)
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बिहार के छात्रों की तैयारी में ध्यान देने योग्य बातें
बीबीसी न्यूज हिंदी के साथ एक इंटरव्यू में डॉ. दिव्यकीर्ति ने बताया था कि बिहार के छात्रों में कोई ‘खास कमी’ नहीं है, लेकिन कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जिन पर काम किया जा सकता है:
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तकनीकी कौशल में सुधार
डॉ. दिव्यकीर्ति ने कहा कि नई तकनीक सीखने की क्षमता को बढ़ाना बहुत जरूरी है। छात्रों को नए सॉफ्टवेयर और आधुनिक तकनीकी उपकरणों में दक्ष होना चाहिए। (Photo Source: Pexels) -
अंग्रेजी में सहजता
रोजगार और करियर की दुनिया में अंग्रेजी का महत्व बहुत बढ़ गया है। उन्होंने सुझाव दिया कि छात्रों को अंग्रेजी भाषा में सहजता लाने का प्रयास करना चाहिए। यह सिर्फ परीक्षा के लिए नहीं, बल्कि भविष्य की नौकरी के लिए भी अहम है। (Photo Source: Pexels) -
नई चीजों को सीखने में लचीलापन
कभी-कभी आधुनिक या नई चीजों को सीखने में विरोध का भाव देखने को मिलता है। डॉ. दिव्यकीर्ति ने कहा कि यह बाधा बन सकती है। इसलिए खुले दिमाग से सीखने की आदत डालनी चाहिए। (Photo Source: Pexels) -
उन्होंने यह भी जोर दिया कि अपनी मातृभाषा का सम्मान बनाए रखना बेहद जरूरी है, लेकिन उस भाषा को भी सीखना चाहिए जिसमें रोजगार के अवसर हैं। (Photo Source: Pexels)
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बिहार और यूपी में सिविल सेवा की लोकप्रियता
डॉ. दिव्यकीर्ति ने यह भी बताया कि बिहार और यूपी में सिविल सेवा की ओर क्रेज का कारण पावर और सम्मान की भूख है। उन्होंने कहा, “सिविल सेवा में अच्छा वेतन, सुरक्षित नौकरी, सम्मान और पावर—सब कुछ है। इसलिए इस क्षेत्र में छात्रों की रुचि अधिक रहती है।” (Photo Source: Pexels) -
इसके विपरीत, अन्य राज्यों जैसे गोवा में पावर और सम्मान की चाह कम होने के कारण यूपीएससी की ओर उतना आकर्षण नहीं होता। डॉ. दिव्यकीर्ति ने यह स्पष्ट किया कि यह क्रेज जाति के आधार पर नहीं, बल्कि राज्य और सामाजिक माहौल पर निर्भर करता है। (Photo Source: @divyakirti.vikas/instagram)
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डॉ. विकास दिव्यकीर्ति का अनुभव
बता दें, डॉ. दिव्यकीर्ति ने 1996 में यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा पास की थी। उनके पहले प्रयास में ही उन्हें सफलता मिली और उनकी रैंक 384 थी। उन्होंने केंद्रीय सचिवालय सेवा में नौकरी पाई, लेकिन कुछ ही महीनों में उन्होंने नौकरी छोड़ दी और पूरी तरह से कोचिंग और छात्रों के मार्गदर्शन में अपना करियर केंद्रित कर लिया। (Photo Source: @divyakirti.vikas/instagram)
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