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जम्मू-कश्मीर के त्रिकुटा पर्वत पर स्थित माता वैष्णो देवी मंदिर करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र है। हर साल लाखों की संख्या में भक्त यहां दर्शन के लिए पहुंचते हैं। हाल ही में रियासी जिले के पुराने ट्रैक पर हुए भूस्खलन में 33 लोगों की मौत हो गई और कई घायल हुए। मंगलवार, 26 अगस्त को भारी बारिश के कारण अर्धकुमारी मंदिर के पास इंद्रप्रस्थ भोजनालय के नजदीक बड़ा भूस्खलन हुआ। (PTI Photo)
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बड़े-बड़े पत्थर, पेड़ और मलबे में दबने से सबसे ज्यादा नुकसान हुआ। कई लोग अब भी लापता बताए जा रहे हैं और मृतकों की संख्या और बढ़ सकती है। इसके बाद वैष्णो देवी यात्रा अस्थायी रूप से रोक दी गई है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह गुफा कितनी प्राचीन है और इसका धार्मिक महत्व क्या है? आइए जानते हैं। (PTI Photo)
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त्रेतायुग से जुड़ी है गुफा
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, माता वैष्णो देवी की गुफा हजारों साल पुरानी है। कहा जाता है कि यह गुफा त्रेतायुग से जुड़ी हुई है। मान्यता है कि माता वैष्णो देवी ने साधना और तपस्या के दौरान इसी गुफा में निवास किया था। (Express Archive Photo) -
पांडवों से जुड़ी मान्यता
माना जाता है कि महाभारत काल में पांडवों ने यहां भैरो बाबा और पांच पिंडियों की स्थापना की थी। पास के पहाड़ पर पांच पत्थर की संरचनाएं भी पाई जाती हैं, जिन्हें पांच पांडवों का प्रतीक माना जाता है। (Express Archive Photo) -
शक्ति पीठ से जुड़ा महत्व
कुछ धार्मिक परंपराओं के अनुसार, माता वैष्णो देवी का यह स्थान सभी शक्ति पीठों में सबसे प्राचीन माना जाता है। कई परंपराओं में इस गुफा को शाक्त परंपरा का सबसे प्राचीन केंद्र माना गया है। कुछ मान्यताओं के अनुसार, यहां माता सती का अंग गिरा था। (Express Archive Photo) -
कहा जाता है कि माता सती के अंगों के गिरने से जो शक्ति पीठ बने, उनमें से एक यह स्थान भी है। यहां आज भी गुफा के भीतर ‘वरद हस्त’ (आशीर्वाद देने वाला हाथ) के निशान देखने को मिलते हैं। दरअसल, गुफा के भीतर एक मानव हाथ के आकार का पत्थर है, जिसे भक्त आशीर्वाद देने वाला हाथ मानते हैं। (Express Archive Photo)
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धार्मिक महत्व
माता वैष्णो देवी को महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती का संयुक्त स्वरूप माना जाता है। गुफा में स्थित तीन पिंडियां इन्हीं तीनों शक्तियों का प्रतीक हैं। यहां से बहने वाली बाणगंगा नदी का जल पवित्र माना जाता है और देवी की प्रतिमाओं के चरण इस जल से धोए जाते हैं। (PTI Photo) -
ऐतिहासिक प्रमाण
ऐतिहासिक तौर पर यह गुफा 1000 से 15000 साल पुरानी मानी जाती है। कई शिलालेखों और लोककथाओं में इस गुफा का उल्लेख मिलता है। माना जाता है कि गुरु गोबिंद सिंह जी भी इस गुफा में दर्शन करने आए थे। कहा जाता है कि वे पुरमंडल मार्ग से होते हुए इस गुफा तक पहुंचे थे। (PTI Photo) -
आधुनिक इतिहास में, 1846 में महाराजा गुलाब सिंह ने इस मंदिर को अपने धर्मार्थ ट्रस्ट के अंतर्गत लिया था। बाद में 1986 में श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड (SMVDSB) का गठन किया गया, जिसके बाद मंदिर के प्रबंधन, विकास, विस्तार और यात्रियों की सुविधाओं पर विशेष ध्यान दिया जाने लगा। (PTI Photo)
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आज का वैष्णो देवी मंदिर
1970 के दशक तक यहां आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या बहुत कम थी। लेकिन 1980 के दशक से लेकर आज तक यहां लाखों नहीं, बल्कि करोड़ों श्रद्धालु हर साल दर्शन के लिए पहुंचते हैं। आज यह मंदिर दुनिया के सबसे प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। हर साल यहां करोड़ों श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं। (Express Archive Photo)
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