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सनातन धर्म की परंपराएं केवल आस्था पर आधारित नहीं होतीं, बल्कि उनके पीछे गहरे वैज्ञानिक कारण भी छिपे होते हैं। ऐसी ही एक परंपरा है – मंदिर में प्रवेश करते समय घंटी बजाना। आपने देखा होगा कि अधिकतर मंदिरों के प्रवेश द्वार पर एक घंटी या बड़ा घंटा टंगा होता है जिसे भक्त श्रद्धापूर्वक बजाते हैं। (Photo Source: Pexels)
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लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इस परंपरा के पीछे क्या कारण हो सकता है? आइए जानते हैं इसका धार्मिक और वैज्ञानिक रहस्य। (Photo Source: Pexels)
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धार्मिक मान्यताएं
पुराणों के अनुसार, मंदिर में घंटी बजाने से कई जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं। माना जाता है कि जब सृष्टि की रचना हुई थी, तब जो नाद (ध्वनि) गूंजी थी, वही ध्वनि घंटी बजाने से उत्पन्न होती है। (Photo Source: Pexels)
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यही ध्वनि ‘ॐ’ के उच्चारण के समान होती है, जो आध्यात्मिक ऊर्जा को जागृत करती है। ऐसी मान्यता है कि मंदिरों में घंटी बजाने से देवी-देवताओं की मूर्तियों में चेतना आ जाती है और उनकी पूजा अधिक फलदायी हो जाती है। (Photo Source: Pexels)
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घंटी की ध्वनि और उसका प्रभाव
घंटी की ध्वनि मंदिर के वातावरण को चैतन्य बना देती है। जब भक्त मंदिर में प्रवेश करते हैं और घंटी बजाते हैं, तो उस ध्वनि से नकारात्मक ऊर्जा निष्क्रिय हो जाती है और एक दिव्य ऊर्जा का प्रवाह शुरू हो जाता है। (Photo Source: Pexels)
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घंटी की आवाज भक्त के मन को शांत करती है, विचारों को केंद्रित करती है और उसे ईश्वर की उपस्थिति का अनुभव कराती है। (Photo Source: Pexels)
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वैज्ञानिक दृष्टिकोण
घंटी बजाने के पीछे एक गहरा वैज्ञानिक तर्क भी है। जब घंटी बजाई जाती है, तो उससे उत्पन्न ध्वनि कंपन (Vibration) पूरे वातावरण में फैलता है। (Photo Source: Pexels) -
यह कंपन लगभग 330 मीटर प्रति सेकेंड की गति से चारों ओर फैलता है, जिससे आसपास मौजूद सूक्ष्म जीवाणु (Bacteria) और विषाणु (Virus) नष्ट हो जाते हैं। (Photo Source: Pexels)
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इससे मंदिर का वातावरण शुद्ध और सकारात्मक बनता है। घंटी की ध्वनि शरीर के सात चक्रों को सक्रिय करती है, विशेषकर सहस्त्रार चक्र (सिर के ऊपर स्थित चक्र)। (Photo Source: Pexels)
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जब हम बड़े घंटे के नीचे खड़े होकर उसे बजाते हैं, तो यह ध्वनि हमारे शरीर से होकर भूमि में प्रवेश करती है और हमारे भीतर मौजूद चिंता, तनाव, नकारात्मक विचारों को बाहर निकाल देती है। परिणामस्वरूप, व्यक्ति शुद्ध भाव से ईश्वर के सामने जाता है। (Photo Source: Pexels)
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आरती और पूजा में घंटी का महत्व
पूजा या आरती के समय घंटी बजाना केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि आध्यात्मिक चेतना को जागृत करने का एक माध्यम है। यह न केवल ध्यान को केंद्रित करता है, बल्कि पूजा का वातावरण भी पवित्र और ऊर्जावान बनाता है। यही कारण है कि कहा जाता है – बिना घंटी के पूजा अधूरी मानी जाती है। (Photo Source: Pexels)
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