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प्रकृति में कई अलग-अलग चीजें हैं, जिन पर विश्वास करने के लिए आपको उन्हें देखा होगा,जैसे कि बायोलुमिनसेंस या उत्तरी रोशनी (औरोरा बोरेलिस) या यहां तक कि एक दुर्लभ प्रकार के फूल का खिलना जो हर 12 साल में केवल एक बार होता है। (Express photo by Jithendra M)
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नीलकुरिंजी पश्चिमी घाट में पाया जाने वाला प्रसिद्ध झाड़ी है,जो केरल कर्नाटक और तमिलनाडु की ढलानों को कवर करता है। इंडियन एक्सप्रेस ने इस दुर्लभ घटना को कैमरे में कैद किया। देखें नीलकुरिंजी की खूबसूरत तस्वीरें। (Express photo by Jithendra M)
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पश्चिमी घाट बैंगनी-नीले नीलकुरिंजी फूलों से ढका हुआ है। यह फूल 12 वर्षो में एक बार खिलता है और सूरज की रोशनी में शानदार दिखता है। (Express photo by Jithendra M)
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इनका वैज्ञानिक नाम’ स्ट्रोबिलेंथेस कुंथियाना’ है और इन फूलों को कुरिंजी के नाम से भी जाना जाता है। वे ज्यादातर नीलगिरि पहाड़ियों पर देखे जाते हैं (Express photo by Jithendra M)
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बेंगलुरु जो कर्नाटक के उन क्षेत्रों में से एक है जहाँ लोग प्रकृति की निर्मल सुंदरता को देखने के लिए यात्रा कर रहे हैं। इस बार चिकमंगलूर के सीतालयनगिरी और मुल्लायनगिरी के बीच भी पर्यटक इन फूलों को कई जगहों पर देख सकते हैं। (Express photo by Jithendra M)
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कहा जाता है कि यह फूल 1300से 2400 मीटर की ऊंचाई पर उगता है और इनके खिलने का मौसम अगस्त और अक्टूबर के बीच होता है दिलचस्प बात यह है कि इन फूलों की 250 से अधिक विविधताएं दुनिया भर में पाई जाती हैं, जिनमें से भारत में नीलकुरिंजी की 46 विविधताएं देखी जाती हैं। (Express photo by Jithendra M)
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2006 में चिकमगलूर के बाबा बुदन गिरी में फूल पूरी तरह खिल गए थे। अगला फूल 2018 में होने की उम्मीद थी,लेकिन जंगल की आग के कारण उस वर्ष नीलकुरिंजियां नहीं देखी गईं। हालाँकि गैलीकेरे के पास फूल इधर – उधर देखे जा सकते हैं। (Express photo by Jithendra M)
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पर्यावरणविदों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण फूलों के खिलने में देरी हुई। ये फूल परागण करने वाली मधुमक्खियों को भी आकर्षित करते हैं,जिससे एक दुर्लभ प्रकार का शहद निकलता है।(Express photo by Jithendra M)
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ये तस्वीरें आश्चर्यजनक हैं और वास्तविक दृश्य लुभाने हैं। (Express photo by Jithendra M)
