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जब भी हम भगवान गणेश की मूर्ति की कल्पना करते हैं, तो हमारे मन में एक ऐसी छवि आती है, जिसमें हाथी का सिर, बड़ी कान, सूंड और टूटा हुआ दांत होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में एक ऐसा मंदिर भी है, जहां गणेश जी की मूर्ति इंसानी चेहरे के साथ विराजमान है? (Photo Source: Pexels)
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आपको बता दें, यह मंदिर तमिलनाडु के थिलाथर्पनपुरी के पास स्थित है और इसे आदि विनायक मंदिर कहा जाता है। यहां गणेश जी को ‘नर मुख विनायक’ के नाम से जाना जाता है, जिसका अर्थ है ‘मानव मुख वाले गणपति’। (Photo Source: @ishasacredwalks/instagram)
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माना जाता है कि यह मंदिर 7वीं शताब्दी में बनाया गया था और यह तमिलनाडु के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक है। इस मंदिर में 5 फुट लंबी गणेश जी की मूर्ति है, जिसे ग्रेनाइट पत्थर से बनाया गया है। उनकी कमर पर नागभरणम (सर्प का आभूषण) है। मूर्ति में गणेश जी एक कुल्हाड़ी पकड़े हुए हैं, जो सभी बाधाओं और इच्छाओं के विनाश का प्रतीक है। (Photo Source: @ishasacredwalks/instagram)
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उनके हाथ में मोदक है, जो उनका प्रिय व्यंजन है और यह जीवन में छोटी-छोटी खुशियों और पुरस्कारों का प्रतीक है। इसके अलावा, मूर्ति में एक रस्सी भी है, जिसे कठिनाइयों से उबारने की आशा का प्रतीक के रूप में देखा जाता है, और एक कमल है, जो आत्म-ज्ञान और विकास का प्रतीक है। (Photo Source: @ishasacredwalks/instagram)
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भगवान गणेश को हाथी का सिर कैसे मिला?
पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान गणेश का जन्म देवी पार्वती ने स्नेह और ममता से किया था। एक बार माता पार्वती ने स्नान से पूर्व शरीर पर हल्दी का उबटन लगाया था। इसके बाद जब उन्होंने उबटन उतारा तो इससे एक पुतला बना दिया और उसमें प्राण डाल दिए। (Photo Source: Pexels) -
यह सब भगवान शिव की अनुपस्थिति में हुआ, जो उस समय कैलाश पर्वत पर ध्यान कर रहे थे। जब माता पार्वती स्नान करने जा रही थीं, तो उन्होंने गणेश जी को द्वार पर पहरा देने को कहा। जब भगवान शिव वहां पहुंचे, तो गणेश जी ने उन्हें अंदर जाने से रोक दिया। इस पर क्रोधित होकर शिव ने उनका सिर काट दिया। (Photo Source: Pexels)
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जब माता पार्वती को यह बात पता चली, तो उन्होंने अत्यधिक क्रोध और दुख व्यक्त किया। देवी पार्वती की बात सुनकर शिव को अपनी गलती का एहसास हुआ। देवताओं के परामर्श पर गणेश जी के कटे हुए सिर की जगह हाथी का सिर लगाया गया और उन्हें दोबारा जीवनदान दिया गया। (Photo Source: Pexels)
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भगवान गणेश को हाथी का सिर मिलने के बाद उन्हें कई देवताओं और देवियों का आशीर्वाद प्राप्त हुआ। उन्हें ‘विघ्नहर्ता’ कहा गया, जो जीवन की बाधाओं को दूर करने वाले भगवान हैं। तभी से गणेश जी को हाथी के मुख वाले देवता के रूप में पूजा जाता है। (Photo Source: Pexels)
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गणेश जी का मानव सिर कहां है?
पौराणिक कहानियों के अनुसार, जब भगवान शिव ने गणेश जी का सिर काटा, तो वह सिर उत्तराखंड में गिरा। यह स्थान आज ‘पाताल भुवनेश्वर’ गुफा के नाम से जाना जाता है। माना जाता है कि इस गुफा को आदिशंकराचार्य ने खोजा था और यहां विराजमान गणेश जी को ‘आदि गणेश’ के नाम से पूजा जाता है। वहीं भक्तों का मानना है कि भगवान शिव अपने एक रूप में इस गुफा की रक्षा करते हैं और यहां अपने पुत्र के कटे हुए सिर की रक्षा करते हैं। (Photo Source: pithoragarh.nic.in) -
हाथी के सिर का महत्व
गणेश जी के हाथी के सिर का अर्थ गहरी बुद्धिमत्ता और समझ का प्रतीक है। वह बाधाओं को दूर करने वाले और ज्ञान के देवता के रूप में पूजे जाते हैं। उनके हाथी जैसे कान इस बात का प्रतीक हैं कि हमें दूसरों की बातों को ध्यान से सुनना चाहिए। उनकी लंबी सूंड अनुकूलनशीलता और दक्षता का प्रतीक है। (Photo Source: Pexels)
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