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स्ट्रॉबेरी एक ऐसा फल है जिसकी मांग पूरे साल बनी रहती है। इसका स्वाद, रंग और खुशबू इसे एक लोकप्रिय फल बनाते हैं। इसका उपयोग आइसक्रीम, चॉकलेट, जेम, केक, और कई अन्य खाने की चीजों में किया जाता है। इसके साथ ही, इसमें विटामिन सी, आयरन, पोटेशियम और फाइबर जैसे पोषक तत्व भी प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं, जो इसे स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद बनाते हैं। (Photo Source: Pexels)
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स्ट्रॉबेरी पहाड़ी क्षेत्रों की फसल मानी जाती है। हालांकि, अब मैदानी क्षेत्रों में भी इसकी खेती होनी शुरू हो गई है। अगर आप अपने घर में गमलों या छोटे बगीचे में स्ट्रॉबेरी उगाना चाहते हैं, तो सितंबर से नवंबर तक का समय सबसे उपयुक्त है। हालांकि आपको कुछ खास बातों का ध्यान रखना होगा। (Photo Source: Pexels)
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स्ट्रॉबेरी की खेती किसी भी प्रकार की मिट्टी पर की जा सकती है, लेकिन बलुई दोमट मिट्टी इसके लिए सबसे उपयुक्त होती है। यह मिट्टी जल निकासी के लिए अच्छी होती है और पौधों की जड़ों को सड़ने से बचाती है। इसके लिए आप मिट्टी में जैविक खाद मिलाएं ताकि पौधों को बेहतर पोषण मिल सके। (Photo Source: Pexels)
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दुनिया भर में स्ट्रॉबेरी की 600 से ज्यादा किस्में हैं, लेकिन भारत में कमारोसा, चांडलर, ओफ्रा, ब्लैक मोर, स्वीट चार्ली, वाइब्रेंट, एलिस्ता और फेयर फॉक्स जैसी किस्में अधिक प्रचलित हैं। ये किस्में भारतीय जलवायु में आसानी से उगाई जा सकती हैं। (Photo Source: Pexels)
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स्ट्रॉबेरी की बुवाई के लिए सितंबर से नवंबर तक का समय सबसे अच्छा होता है। हालांकि, सितंबर में तापमान अधिक होने के कारण पौधा मर सकता है, इसलिए अक्टूबर में रोपाई करना सबसे अच्छा माना जाता है। इस दौरान तापमान ठंडा होने लगता है, जो स्ट्रॉबेरी के पौधों के लिए अनुकूल होता है। (Photo Source: Pexels)
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अगर आप गमले में स्ट्रॉबेरी उगाना चाहते हैं, तो 8-12 इंच गहरे गमले का चुनाव करें। गमले में जल निकासी के लिए छेद होना जरूरी है, जिससे एक्सट्रा पानी बाहर निकल सके और पौधे सड़ने से बचें। (Photo Source: Pexels)
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अगर आप स्ट्रॉबेरी के बीज से शुरुआत कर रहे हैं, तो बीजों को गमले में लगभग 1/4 इंच गहराई में डालें और हल्के से मिट्टी से ढक दें। अगर आप पौधे से बुवाई कर रहे हैं, तो पौधे की जड़ों को गमले में गहराई तक लगाएं और उसे मिट्टी से ढक दें। (Photo Source: Pexels)
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स्ट्रॉबेरी के पौधों को रोजाना 6-8 घंटे की सीधी धूप की आवश्यकता होती है। इसे ऐसी जगह पर रखें, जहां पर्याप्त धूप मिले। साथ ही, सिंचाई का सही समय और तरीका अपनाना जरूरी है। पौधे लगाने के तुरंत बाद पहली सिंचाई करें और फिर नमी बनाए रखने के लिए फव्वारे विधि से नियमित सिंचाई करते रहें। (Photo Source: Pexels)
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जब फल आने लगें, तो ड्रिप सिंचाई का प्रयोग करें ताकि फल खराब न हों। स्ट्रॉबेरी के पौधों को अच्छे विकास के लिए जैविक खाद की आवश्यकता होती है। ऐसे में हर 20-25 दिनों में जैविक खाद दें। इसके लिए वर्मी कम्पोस्ट या गोबर की खाद का उपयोग किया जा सकता है। (Photo Source: Pexels)
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स्ट्रॉबेरी के पौधों पर कीट और रोगों का हमला हो सकता है, इसके लिए नीम के तेल जैसे प्राकृतिक कीटनाशकों का इस्तेमाल करें। इससे पौधे सुरक्षित रहेंगे और कीटों से बचाव होगा। जब स्ट्रॉबेरी के फल पूरी तरह से लाल हो जाएं और मीठे हो जाएं, तो उन्हें धीरे-धीरे तोड़ लें। ध्यान रखें कि कटाई करते समय पौधे को नुकसान न हो। (Photo Source: Pexels)
