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हिन्दू धर्म में जीवन को सोलह संस्कारों के माध्यम से परिभाषित किया गया है। जन्म से लेकर मृत्यु तक हर पड़ाव पर ये संस्कार व्यक्ति के जीवन और आत्मा की शुद्धि के लिए महत्वपूर्ण माने जाते हैं। इनमें अंतिम संस्कार, या कहें तो मृत्यु संस्कार, जीवन का सोलहवां और सबसे महत्वपूर्ण संस्कार होता है। (Photo Source: Unsplash)
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मृत्यु संस्कार के दौरान कई रीति-रिवाज निभाए जाते हैं, जिनमें से एक प्रमुख है मृतक के मुंह में गंगाजल डालना और तुलसी का पत्ता रखना। यह सिर्फ एक पारंपरिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि इसके पीछे एक गहरा आध्यात्मिक अर्थ छिपा हुआ है। आइए जानते हैं कि इस परंपरा का धार्मिक महत्व क्या है। (Photo Source: Unsplash)
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गंगाजल से पापों का नाश
गंगाजल को सभी पापों को धोने वाला माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि अंतिम समय में मुंह में गंगाजल डालने से जीवन भर के पाप समाप्त हो जाते हैं। यह जल भगवान विष्णु के चरणों से प्राप्त माना जाता है और इसे मोक्ष का मार्ग खोलने वाला माना जाता है। (Photo Source: Unsplash) -
तुलसी का विशेष महत्व
तुलसी भगवान विष्णु को प्रिय मानी जाती है। मृत्यु के समय तुलसी का पत्ता मुंह में रखने से आत्मा सीधे वैकुण्ठ पहुंचती है। गरुड़ पुराण में इसका स्पष्ट उल्लेख है। तुलसी का यह प्रयोग आत्मा को शांति देने और उसे नरक या भयंकर यातना से बचाने का काम करता है। (Photo Source: Unsplash) -
यमदूत से सुरक्षा
मान्यता है कि तुलसी और गंगाजल डालने से यमदूत दूर भागते हैं। ऐसा करने पर आत्मा को नरक में जाने या कष्ट झेलने की आवश्यकता नहीं होती। इसके स्थान पर विष्णु के दूत आते हैं और आत्मा को वैकुण्ठ ले जाते हैं। (Photo Source: Unsplash) -
प्राणों की शांतिपूर्ण विदाई
जब व्यक्ति अंतिम सांस ले रहा होता है, तभी तुलसी का पत्ता और गंगाजल मुंह में डालना चाहिए। इससे प्राण शांतिपूर्वक निकलते हैं और आत्मा को किसी भी तरह का दर्द या कष्ट नहीं होता। (Photo Source: Pexels) -
मोक्ष और पुण्य की प्राप्ति
तुलसी और गंगाजल से विष्णु का स्मरण अपने आप होता है। गीता में श्रीकृष्ण कहते हैं कि जो मेरे नाम का स्मरण कर प्राण त्यागे, वह मेरे पास आता है। इसके अलावा यह परंपरा पितृ दोष से भी रक्षा करती है और आने वाली चौदह पीढ़ियों तक पुण्य की प्राप्ति होती है। (Photo Source: Unsplash) -
तुलसी-गंगाजल डालते समय मंत्र
धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख है कि तुलसी और गंगाजल डालते समय ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ या ‘राधे-राधे’ जैसे मंत्र का उच्चारण करना चाहिए। इससे आत्मा को हरि नाम का बल मिलता है और मोक्ष की संभावना निश्चित हो जाती है। (Photo Source: Unsplash)
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