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भारत में ऐसी कई ऐतिहासिक जगहें हैं जो खूबसूरत होने के साथ-साथ रहस्यों से भरी हुई हैं। यहां घूमने के लिए पहाड़, झरने, नदियां, मंदिर और कई जगहें हैं जहां आप प्रकृति के करीब रहकर अच्छा समय बिता सकते हैं। आज हम आपको एक ऐसे पर्वत के बारे में बताने जा रहे हैं जिस पर 800 से भी ज्यादा मंदिर मौजूद हैं। (Source: gujarattourism.com)
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यह पर्वत गुजरात के भावनगर जिले के पालीताना इलाके में स्थित है। इस पर्वत का नाम ‘शत्रुंजय पर्वत’ है। इसका यह नाम यहां से गुजरने वाली शत्रुंजय नदी की वजह से रखा गया है। इस पर्वत पर हर साल लाखों लोग घूमने और दर्शन करने के लिए आते हैं। यहां कई धार्मिक आयोजन किए जाते हैं। (Source: gujarattourism.com)
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पहाड़ पर बने इन मंदिरों की खूबसूरती और लोगों की आस्था उन्हें यहां खींच लाती है। गुजरात टूरिज्म वेबसाइट के अनुसार, जैन धर्म के संस्थापक और पहले जैन तीर्थंकर आदिनाथ यानी ऋषभदेव ने ध्यान लगाया था और पहला उपदेश दिया था। इसलिए यह पर्वत जैन धर्म के लोगों के लिए प्रमुख तीर्थ भी है। (Source: gujarattourism.com)
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कार्तिक पूर्णिमा के दिन इस पर्वत पर बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं। माना जाता है कि ऋषभदेव ने पर्वत के शिखर पर एक वृक्ष के नीचे तपस्या की थी। आज भी भगवान आदिनाथ का मंदिर यहां मौजूद है। (Source: gujarattourism.com)
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इस स्थान पर पहले मंदिर का निर्माण 11वीं सदी में जैन धर्म का अनुयायी और राजा कुमारपाल सोलंकी ने करवाया था। इसके बाद अन्य मंदिरों का निर्माण 900 वर्षों की अवधि में जैनियों के विभिन्न पीढ़ियों द्वारा किया गया। (Source: gujarattourism.com)
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1311 ईस्वी में तुर्की मुस्लिम आक्रमणकारियों द्वारा मंदिरों को नष्ट कर दिया गया था, बाद में संत जिनप्रभा सूरी ने मंदिरों की अध्यक्षता की और पुनर्निर्माण करवाया। (Source: gujarattourism.com)
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इस पर्वत पर बने मंदिर संगमरमर से तैयार किए गए हैं। इन मंदिरों पर की गई नक्काशी इनकी खूबसूरती पर चार-चांद लगाते हैं। वहीं सूबह के समय जब सूरज की किरणें इन मंदिरों पर पड़ती है तो वह सोने की तरह चमक उठते हैं। (Source: gujarattourism.com)
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वहीं जैन धर्म के अलावा इस पर्वत पर मुस्लिम लोग भी आते हैं। दरअसल, यहां मुस्लिम संत अंगार पीर की मजार भी है, जहां वे लोग मत्था टेकने आते हैं। बताया जाता है कि उन्होंने मुगलों से शत्रुंजय पर्वत की रक्षा की थी। (Source: gujarattourism.com)
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