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स्कोलियोसिस एक ऐसी मेडिकल स्थिति है जिसमें रीढ़ की हड्डी सामान्य रूप से सीधी रहने की बजाय S या C आकार में मुड़ जाती है। यह समस्या अधिकतर किशोरावस्था में सामने आती है, खासकर 10 से 15 साल की उम्र के बीच। आश्चर्यजनक रूप से, यह समस्या लड़कियों में लड़कों की तुलना में लगभग 7 गुना ज्यादा देखी जाती है। (Photo Source: Pexels)
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हालांकि यह सुनने में सामान्य सी समस्या लग सकती है, लेकिन यह शरीर में स्थायी विकलांगता और आंतरिक समस्याओं का कारण बन सकती है, जैसे फेफड़ों और दिल की कार्यक्षमता पर असर डालना। (Photo Source: Pexels)
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आद्या की कहानी: हिम्मत और चिकित्सा का मेल
हाल ही में नोएडा की 15 वर्षीय आद्या स्कोलियोसिस की चपेट में आ गई थी। उसकी रीढ़ की हड्डी 50 डिग्री तक झुक चुकी थी। समय रहते उसका इलाज फरीदाबाद स्थित अमृता हॉस्पिटल में हुआ। (Photo Source: Pexels)
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अमृता हॉस्पिटल के स्पाइन सर्जरी विभाग के प्रमुख डॉ. तरुण सूरी और उनकी टीम ने इन्ट्राऑपरेटिव न्यूरो-मॉनिटरिंग (IONM), अल्ट्रासोनिक बोन स्केल्पल और सेल सेवर्स जैसी अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग करते हुए बेहद सटीक सर्जरी की। सर्जरी के महज पांच दिन बाद ही आद्या को हॉस्पिटल से छुट्टी मिल गई और तीन हफ्तों में वह स्कूल जाना शुरू कर चुकी थी। (Photo Source: Pexels)
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क्यों जरूरी है समय पर पहचान?
स्कोलियोसिस के हर 10 में से 1 बच्चे को प्रभावित करने की संभावना होती है। यह स्थिति सिर्फ शारीरिक तकलीफ ही नहीं देती, बल्कि मानसिक रूप से भी गहरा असर डालती है। (Photo Source: Pexels) -
स्प्रिंगर नेचर की 2024 की रिपोर्ट के अनुसार, स्कोलियोसिस से पीड़ित 58% युवाओं को एंग्जाइटी, डिप्रेशन, आत्मविश्वास की कमी और खानपान संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। (Photo Source: Pexels)
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माता-पिता और स्कूलों की भूमिका
आद्या की मां के अनुसार, शुरुआत में उन्हें यह लगा कि कमर का झुकाव बैठने की खराब आदत का नतीजा है। स्कोलियोसिस का नाम सुनकर डर लगना स्वाभाविक था, लेकिन सही जानकारी और डॉक्टर की मदद से वे सही समय पर निर्णय ले सकीं। (Photo Source: Amrita Hospital) -
डॉ. सूरी का कहना है, “हर स्कूल और अभिभावक को यह जानना जरूरी है कि स्कोलियोसिस दिखने में कैसा होता है। अगर समय पर इसकी पहचान हो जाए तो गंभीर शारीरिक व मानसिक असर से बचा जा सकता है।” (Photo Source: Pexels)
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क्यों लड़कियों में अधिक होता है स्कोलियोसिस?
स्कोलियोसिस के विकसित होने के ठोस कारणों का अभी तक 80% मामलों में पता नहीं चल पाया है। हार्मोनल बदलाव, ग्रोथ स्पर्ट और जेनेटिक फैक्टर इसके पीछे माने जाते हैं। लड़कियों में यह समस्या तेजी से बढ़ने की संभावना रखती है, जिससे गंभीरता भी ज्यादा हो सकती है। (Photo Source: Pexels)
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