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अंटार्कटिका, दुनिया का सबसे ठंडा, शांत और खूबसूरत महाद्वीप है। यहां की बर्फीली वादियों में रहने वाले पेंगुइन जितने प्यारे दिखते हैं, उतने ही मासूम भी होते हैं। पेंगुइन इंसानों से बिल्कुल नहीं डरते। वे आपके पास बेझिझक चले आते हैं, न कोई भय, न कोई झिझक, केवल मासूम जिज्ञासा। और यही मासूमियत उन्हें सबसे ज्यादा कमजोर बना देती है। (Photo Source: Pexels)
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उनकी दुनिया में इंसान कोई खतरा नहीं, इसलिए वे बेझिझक हमारे पास आ जाते हैं। लेकिन समस्या यह है कि उनकी यह मासूमियत ही उन्हें सबसे अधिक नुकसान पहुंचा सकती है। शायद आपको लगे कि एक बार हल्के से छू लेने में क्या बुराई है? लेकिन सच यह है कि पेंगुइन को छूना, चाहे प्यार से ही क्यों न हो, उसकी जान को जोखिम में डाल सकता है। (Photo Source: Pexels)
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क्यों एक स्पर्श भी खतरनाक हो सकता है?
इंसानों से पेंगुइन तक बीमारी पहुंचने का खतरा (Reverse Zoonosis)
पेंगुइन लाखों वर्षों से इंसानों से दूर, अलग-थलग इकोसिस्टम में विकसित हुए हैं। उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली साधारण से वायरस और बैक्टीरिया से भी नहीं लड़ पाती। वैज्ञानिक आकलनों में पेंगुइन कॉलोनियों में साल्मोनेला (Salmonella) और अन्य संक्रमण पाए गए हैं। (Photo Source: Pexels) -
रिसर्च से यह भी सामने आया है कि मानव उपस्थिति कई बार जोखिम बढ़ाती है। कोविड-19 जैसे ग्लोबल हेल्थ क्राइसिस के दौरान एक्सपर्ट्स ने चेताया था कि मनुष्य अनजाने में वायरस अंटार्कटिका तक ले जा सकते हैं। मतलब, सिर्फ पास जाना या गंदा गियर छोड़ देना भी पूरी कॉलोनी के लिए खतरा हो सकता है। (Photo Source: Pexels)
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पंखों को नुकसान और बॉडी इंसुलेशन खत्म होना
पेंगुइन का जीवन उनके पंखों पर टिका होता है। उनके पंखों पर मौजूद बेहद पतली नेचुरल तेल की परत उनके पंखों को वॉटरप्रूफ बनाती है, हवा को फंसाकर गर्मी बनाए रखता है, ठंड और समुद्र की बर्फीली लहरों से बचाता है। लेकिन एक इंसान का एक स्पर्श उनके लिए खतरा बन जाता है। (Photo Source: Pexels) -
दरअसल, हमारे हाथों की त्वचा पर मौजूद तेल, लोशन और धूल इस नाजुक परत को तुरंत खराब कर सकते हैं। हमारा एक स्पर्श उनकी वाटरप्रूफिंग खत्म कर देता है, जिससे उन्हें हाइपोथर्मिया का खतरा हो सकता है। यह एक साधारण सी गलती पेंगुइन को ठंड से मरने या समुद्र में डूबने की स्थिति तक ले जा सकती है। (Photo Source: Pexels)
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तनाव, व्यवहार परिवर्तन और कम होती जीवित रहने की संभावना
मानव निकटता पेंगुइन में तनाव हार्मोन बढ़ा देती है। इसके प्रभाव, घोंसला छोड़कर जाना, बच्चों की देखभाल में कमी, ऊर्जा खर्च में वृद्धि, लंबे समय में पूरी आबादी पर असर। कई बार बार-बार पास जाने से वे इंसानों के आदी हो जाते हैं, जिससे उनका नेचुरली अलर्ट रहना कम हो जाता है और वे और भी असुरक्षित हो जाते हैं। (Photo Source: Pexels) -
क्योंकि पेंगुइन इंसानों से नहीं डरते
पेंगुइन इंसानों के पास इसलिए आते हैं क्योंकि वे डरना जानते ही नहीं। धरती पर उनका कोई नेचुरल हंटर नहीं होता। इसलिए वे समझ नहीं पाते कि कौन उन्हें नुकसान पहुंचा सकता है। वे इंसानों को खतरा नहीं मानते, इसलिए वे अपनी सहज जिज्ञासा के साथ आगे बढ़ते हैं। (Photo Source: Pexels) -
तो जब पेंगुइन आपके पास आए तो क्या करें?
बस एक ही काम, कुछ भी मत करें। ना हाथ बढ़ाएं, ना उसे छुएं, ना उसके रास्ते में आएं। उसे अपनी क्यूरोसिटी में रहने दें। उसे उसी आजादी और विश्वास के साथ आपके पास आने दें, लेकिन उसके शरीर से दूरी बनाए रखें। (Photo Source: Pexels)
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