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Raja Bhaiya Vs Akhilesh Yadav: राजा भैया 1993 से राजनीति में हैं। इस दौरान यूपी में कई मुख्यमंत्री हुए। यूं तो मायावती (Mayawati) छोड़ सारे मुख्यमंत्रियों की राजा भैया पर खास कृपा रही लेकिन वह सबसे ज्यादा करीब मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) के रहे। अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने भी उन्हें अपनी सरकार में मंत्री बनाया। हालांकि अखिलेश यादव के साथ राजा भैया के रिश्तों में ऐसी खटास आई कि समाजवादी पार्टी (Samajwadi party) के दरवाजे भदरी नरेश के लिए बंद हो गए।
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पूरा मामला साल 2019 का है। तब राज्यसभा चुनाव होने थे। राजा भैया भले निर्दलीय हैं लेकिन अप्रत्यक्ष तौर पर समाजवादी पार्टी के साथ रहे। (यह भी पढ़ें: राजा भैया के महल में एंट्री से काफी पहले बंद करनी पड़ती है कार, गलती पर भड़क जाते हैं उनके पिता)
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राज्यसभा चुनाव के दौरान अखिलेश यादव ने राजा भैया से समाजवादी पार्टी के समर्थित प्रत्याशी को वोट देने की बात की। लेकिन राजा भैया ने बीजेपी के कैंडिडेट को अपना वोट दे दिया। इससे अखिलेश यादव काफी नाराज हुए।(यह भी पढ़ें : ‘पढ़ेगा तो बुजदिल बन जाएगा’, राजा भैया को अनपढ़ रखना चाहते थे उनके पिता, मां ने चोरी से भेजा था स्कूल )
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प्रतापगढ़ में एक चुनावी रैली के दौरान अखिलेश यादव ने राजा भैया पर अपनी नाराजगी जाहिर की थी। उन्होंने कहा था- क्षत्रियों के लिए एक पुरानी कहावत है- रघुकुल रीत सदा चल आई, प्राण जाए पर वचन ना जाई। लेकिन उनका (राजा भैया) वचन ही चला गया…कैसे लोग हैं, जिनका वचन ही चला गया। (यह भी पढ़ें: मरते शख्स ने जताई थी राजा भैया को देखने की अंतिम इच्छा, मिलने के कुछ समय बाद तोड़ दिया था दम )
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अखिलेश यहीं नहीं रुके। उन्होंने आगे कहा कि जो आदमी झूठ बोलता है, उससे खराब आदमी कोई नहीं हो सकता। वादा किया था कि वोट देंगे…पता नहीं वो वचन कहां ध्वस्त हो गया. ..कहां उड़ गया। (यह भी पढ़ें: जब प्रेग्नेंट थीं पत्नी तब जेल में बंद थे राजा भैया, मुलायम ने निकाला तब देख पाए थे बेटों का मुंह )
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अखिलेश यादव ने अपने पुराने साथी के लिए दो टूक शब्दों में कहा था- जब वचन उड़ गया तो हमने भी तय कर लिया कि जाएं, जहां जाना चाहें…ये समाजवादी पार्टी दोबारा उनके लिए दरवाजे नहीं खोलेगी। ये नई समाजवादी पार्टी है।ये दोबारा दरवाजा नहीं खोलेगी।(यह भी पढ़ें: ज्योतिरादित्य सिंधिया के स्कूल में पढ़ते हैं राजा भैया के बच्चे, पहले सिर्फ राजघरानों के बच्चों का होता था दाखिला)
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बता दें कि राजा भैया अखिलेश यादव द्वारा मायावती की बीएसपी संग गठबंधन के कारण नाराज थे। मायावती से राजा भैया का हमेशा छत्तीस का आंकड़ा रहा है। जिस प्रत्याशी को वोट देने के लिए अखिलेश यादव कह रहे थे वह प्रत्याशी भी बसपा का था।( यह भी पढ़ें: ‘मायावती को छूकर हाथ गंदे नहीं करना चाहता’, जब बसपा चीफ के लिए ऐसा कुछ बोल गए थे राजा भैया )
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Photos: PTI and Social Media