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भक्ति के मार्ग पर जो अनुभव होता है वैसा सुख शायद ही कहीं मिले। पूजा-पाठ से आत्मा की शुद्धि होती है। पूजा-पाठ के दौरान मंत्रों का जाप भी किया जाता है। लेकिन यह जानना जरूर है कि पूजा के दौरान रोज किन-किन मंत्रों का जाप करना चाहिए। (Photo: Vrindavan Ras Mahima/FB)
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खुद से कर सकते हैं नाम का चयन?
वृंदावन वाले प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि, जो नाम अपनी इच्छा से जपा जाता है- सत्संग सुनकर और शास्त्रों को पढ़कर जिस नाम के जपने की इच्छा होती है उसे जपते-जपते साधक पर नाम की कृपा होती है। (Photo: Vrindavan Ras Mahima/FB) -
इसके बाद सद्गुरुदेव की प्राप्ति होती है। प्रेमानंद महाराज के अनुसार जब गुरु प्रदत्त नाम होता है। गुरु के मुख से निकले हुए नाम को जब विधिपूर्वक और गुरु आज्ञा में रहकर उस नाम का जाप करते हैं तब साधक के अंदर नाम की शक्ति जागृत होती है। नाम की शक्ति जागृत में प्रभाव सदगुरुदेव का होता है। (Photo: Vrindavan Ras Mahima/FB)
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प्रेमानंद महाराज के अनुसार अगर आप स्वेक्षा से नाम का जप कर रहे हैं यानी अपनी मर्जी से तो वह मंगल भवन नाम है और साधक का मंगल करेगा। पापा का नाश करेगा साथ ही सद्गुरु की प्राप्ति कराएगा। आगे वो कहते हैं यह व्यर्थ नहीं जाएगा लेकिन उससे दिव्य लीला में प्रवेश पाना असंभव है। (Photo: Vrindavan Ras Mahima/FB)
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जब सद्गुरु नाम प्रदान करते हैं और हम उनकी आज्ञा में रहकर नाम का जाप करते हैं तो गुरुदेव की शक्ति के प्रभाव से हमारे हृदय में बीज मंत्र प्राप्त करने का अधिकार बनने लगता है। (Photo: Vrindavan Ras Mahima/FB)
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जब साधक इष्ट देव का अधिकारी हो जाता है और सारी आज्ञा का पालन करते हुए साधना करता है तब गुरुदेव उसे बीज मंत्र देते हैं जिसे हिंदू धर्म में बेहद ही शक्तिशाली बताया गया है। (Photo: Vrindavan Ras Mahima/FB)
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बीज मंत्र से देह एवं मन की सारी मलिनता दूर हो जाती है और फिर उपासक के हृदय में सिद्ध स्वरूप का उदय होता है। (Photo: Vrindavan Ras Mahima/FB)
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बीज मंत्र जाप करने से पंचभूत शुद्ध होता है जिनसे ये शरीर रचा हुआ है। इसके बाद चित्त शुद्ध होगा और फिर स्वभाव शुद्ध होगा। प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि जैसे ही साधक का स्वभाव शुद्ध होगा वैसे ही उसे भावदेह का अनुभव होने लगेगा। (Photo: Vrindavan Ras Mahima/FB)
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स्वभाव शुद्ध होने पर साधक के अंदर एक अलग ही अनुभूति होती है। उसे न कोई चाह होती है और न ही कोई इच्छा होती है। (Photo: Vrindavan Ras Mahima/FB)
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प्रेमानंद महाराज के अनुसार अपनी इच्छा अनुसार किसी भी नाम का जाप कर सकते हैं। लेकिन सदगुरुदेव का दिया हुआ नाम ज्यादा फलदायी होता है। (Photo: Vrindavan Ras Mahima/FB) दोनों किडनी फेल होने के बाद भी कैसे जिंदा हैं प्रेमानंद महाराज?
