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महाशिवरात्रि का पर्व भगवान शंकर को समर्पित है। इस दिन शिवालयों में जल चढ़ाने और महादेव की पूजा-अर्चना करने के लिए भक्तों की खूब भीड़ रहती है। (Photo: Indian Express)
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इस दिन भगवान शंकर की विशेष कृपा पाने के लिए भक्त लालायित रहते हैं और पूजा-पाठ, व्रत करते हैं। (Photo: Indian Express)
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मान्यताओं के अनुसार इस संसार में जितने भी छोटे बड़े शिवलिंग हैं उसमें भगवान शिव महाशिवरात्रि दिन दिव्य रूप में समाहित हो जाते हैं और भक्तों की पूजा स्वीकार करते हैं। भगवान श्रीहरी यानी विष्णु को भी महाशिवरात्रि का दिन काफी प्रिय है। (Photo: Indian Express)
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वृंदावन वाले प्रेमानंद महाराज काशी के ही रहने वाले हैं। उन्होंने कुछ बातें बताई है जिसके जरिए महाशिवरात्रि के दिन महादेव की विशेष कृपा पा सकते हैं: (Photo: PremanandJi Maharaj/FB)
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प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि जो हरी का भक्त होगा वो हर का और जो हर का भक्त होगा वो हरी का जरूर होगा। (Photo: PremanandJi Maharaj/FB)
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प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि, महादेव की पूजा में ज्यादा पैसे वाली सामग्री नहीं लगती है। वो तो एक चुल्लू जल में ही प्रसन्न होने वाले हैं भगवान हैं। (Photo: Indian Express) Maha Shivratri Mehndi Design 2025: घर पर आसानी से हाथों पर लगाएं ॐ, त्रिशूल, डमरू, शिव-पार्वती वाले मेहंदी डिजाइन, महाशिवरात्रि के उत्सव को बनाएं खास
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प्रेमानंद महाराज के अनुसार, जो कोई स्वीकार नहीं करता वो महादेव स्वीकर करके जो पद दे देते हैं वो दुर्लभ है। सिर्फ धतूरा, बेल पत्र, अकौड़े के फूल और गंगा जल चढ़ा देने मात्र से ही भगवान शंकर प्रसन्न हो जाते हैं। (Photo: Indian Express)
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इसके आगे वो कहते हैं कि महादेव बड़े कृपालु हैं, वो तो आशुतोष हैं और करुणा समुद्र हैं। उनकी आराधना से ज्ञान, भक्ति वैराग्य और ईश्वर जो चाहो सब प्रदान कर देते हैं। (Photo: Pexels)
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एक कथा सुनाते हुए प्रेमानंद महाराज कहते हैं एक बार भगवान श्री राम अयोध्या वासियों को बैठाकर कहते हैं कि, मैं राजा के रूप में आदेश नहीं दे रहा हूं बल्कि सबसे हाथ जोड़ कर विनती कर रहा हूं कि, ‘यदि कोई मेरी भक्ति चाहता है तो उसके लिए भगवान शंकर की कृपा आवश्यक है। बिना भगवान शंकर की कृपा के कोई मेरी विशुद्ध भक्ति प्राप्त नहीं कर सकता है’। (Photo: Pexels)
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प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि हरिहर एक ही हैं। हरि यानी भगवान विष्णु और हर यानी भगवान शंकर। इसलिए चलते फिरते, उठते बैठते आराध्य देव का स्मरण सबसे बड़ी साधना है। प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि भगवान शंकर बहुत ही करुणामय हैं। (Photo: Pexels)
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अगर कोई भी साधक अनन्य हो जाए तो आगे अंदर का मार्ग महादेव खोल देते हैं। वो ज्ञानसमुद्र हैं। बस साधक को चाहिए कि इष्ट के अनन्य हो जाए। (Photo: Indian Express)
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प्रेमानंद महाराज के अनुसार, अगर कोई प्राणी सच्चे मन से भगवान शिव की पूजा-अर्चना करता है तो वो उसकी पूजा जरूर स्वीकार करते हैं। (Photo: Indian Express) महाशिवरात्रि पर भूलकर भी न करें ये 7 काम, महादेव को खुश करने के लिए जरूर करें ये उपाय
