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भारत के मशहूर संतों में से एक प्रेमानंद महाराज की तबीयत पिछले कुछ दिनों से खराब है। जिसके चलते रात को निकलने वाली उनकी पदयात्रा अनिश्चितकाल के लिए बंद है। (Photo: PremanandJi Maharaj/FB) प्रेमानंद महाराज ने बताया ऐसे लोगों के जीवन में कभी नहीं आता सुख, भक्ति नहीं आती है काम
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उनकी तबीयत बिगड़ने के चलते भक्तजनों में मायूसी है। इस वक्त हर सनातनी प्रेमानंद महाराज के जल्द से जल्द स्वस्थ होने की कामना कर रहा है। ऐसे में आइए उनकी पुरानी तस्वीरों पर डालते हैं एक नजर: (Photo: PremanandJi Maharaj/FB)
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प्रेमानंद महाराज के भक्त न सिर्फ भारत बल्कि विदेशों में भी हैं। वह लोगों को धर्म के मार्ग पर चलने और नियमों का पालन करते हुए जीवन यापन करने की सीख देते हैं। (Photo: PremanandJi Maharaj/FB)
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प्रेमानंद महाराज लंबे समय से किडनी की बीमारी से जूझ रहे हैं। उनकी दोनों किडनियां खराब हो चुकी हैं। पिछले कुछ दिनों से रोजाना डायलिसिस हो रही है। (Photo: PremanandJi Maharaj/FB) नदी में पैसा फेंकना सही या गलत? प्रेमानंद महाराज ने बताया इसके बदले क्या करें
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प्रेमानंद महाराज हर दिन रात करीब 2 बजे दो किलोमीटर पैदल चलकर रमणरेती स्थित केली कुंज आश्रम पहुंचते थे। यह पदयात्रा उनके भक्तों के लिए एक आध्यात्मिक अनुभव बन चुकी थी। रोजाना हजारों की संख्या में भक्त उनके दर्शन के लिए पहुंचते हैं। (Photo: PremanandJi Maharaj/FB)
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प्रेमानंद महाराज पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज नामक अनुवंशिक बीमारी से पीड़ित हैं। यह बीमारी उन्हें साल 2006 में हुई थी। (Photo: PremanandJi Maharaj/FB)
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दोनों किडनियां खराब होने के बाद भी प्रेमानंद महाराज ने न तो कभी भक्ति का मार्ग छोड़ा और न ही अपने अनुशासन में कोई ढील दी। (Photo: PremanandJi Maharaj/FB) प्रेमानंद महाराज से जानें काम छोड़कर भक्ति करना सही या गलत? -
प्रेमानंद महाराज ने काफी छोटी उम्र में ही घर छोड़ दिया था और भक्ति का मार्ग अपना लिया था। पहले वह काशी अब वाराणसी में भगवान शिव की भक्ति करते थे। (Photo: PremanandJi Maharaj/FB)
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वाराणसी में करीब 13 साल भगवान शिव की भक्ति करने के बाद वह वृंदावन आ गए और अपना संपूर्ण जीवन कृष्ण-राधा के नाम कर दिया। (Photo: PremanandJi Maharaj/FB)
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यहां तक कि प्रेमानंद महाराज ने अपनी एक किडनी की नाम कृष्णा और दूसरी का नाम राधा रखा है। उनका कहना है कि उन्होंने अपनी दोनों किडनियां भगवान के नाम कर दी है। (Photo: PremanandJi Maharaj/FB)
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प्रेमानंद महाराज भक्ति को दिव्य आनंद प्राप्त करने का अंतिम साधन मानते हैं। उन्होंने 13 वर्ष की आयु में ही ब्रह्मचर्य और संन्यास का मार्ग अपना लिया था। घर छोड़ने के बाद उन्होंने आध्यात्मिक अभ्यास किया और भक्ति में खुद को समर्पित कर दिया। (Photo: PremanandJi Maharaj/FB) अगर बिल्ली रास्ता काट दे या कोई टोटका कर दे तो क्या करें? प्रेमानंद महाराज ने बताया एकदम सरल उपाय